गौरी म्हारी डागलिये |
डागलिये पर चालो ए छांटा बरसै आज ।।
पिया म्हारा बरखा मे भीग्यो ए न जाय ।
बरखा माही भीजे म्हारा नागिण जिसा बाल ॥
गौरी म्हारी भीगे तो भीगण दिज्यो आज।
महला में संवारा थारा नागिन जिसा बाल ॥
पिया म्हारा बरखा में भीग्यो ए न जाय ।
बरखा माही भीजे म्हारा होठ लाल लाल ॥
गौरी म्हारी भीगे तो भीगण दिज्यो आज।
पलका सु सुखास्या थारा होठ लाल लाल ॥
पिया म्हारा बरखा में भीग्यो ए न जाय ।
बरखा माही पतली कमर लचक ज्याय ॥
गौरी म्हारी लचक तो लचकण दिज्यो आज ।
सैजा पर दबास्या थारी कमर लचकदार ॥
गौरी ए म्हारी डागलिये पर चालो आज ।
डागलिये पर चालो ए छांटा बरसै आज ॥
डागलिये पर चालो ए छांटा बरसै आज ॥
बरखा माही भीजे म्हारा नागिण जिसा बाल ।
महला में संवारा थारा नागिन जिसा बाल ॥
बरखा माही भीजे म्हारा होठ लाल लाल ।
पलका सु सुखास्या थारा होठ लाल लाल ॥
महला में संवारा थारा नागिन जिसा बाल ॥
बरखा माही भीजे म्हारा होठ लाल लाल ।
पलका सु सुखास्या थारा होठ लाल लाल ॥
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