मीठो बोले रे पपैयो रुत आयी फागण की
मन में आवै ओ पिया थारे सागै सोवण की
गौरी जोवै बाट पिया थारी, कह गया आवण की
जेठ जेठाणी सुख स्यू सोवै, सोवै ननद नवेली रे
कूण सै जनम को बेर निकल्यो मैं सोऊं एकली
मीठो बोले रे पपैयो रुत आयी फागण की
गौरी जोवै बाट पिया थारी, कह गया आवण की
मीठो बोले रे.....
चंदा थारे चानण डागलीये पलंग लगायो र
झुर झुर रोवै गोरडी परदेशी क्यूं नही आयो र
तारा गीण गीण रात बिताऊं, मैं तो फागण की
मीठो बोले रे पपैयो रुत आयी फागण की
गौरी जोवै बाट पिया थारी, कह गया आवण की
मीठो बोले रे.....
रात नै सोऊं तो रे ढोला नींद कोनी आवै रे
एकली सोऊं तो म्हारो जियो घबरावे रे
सुनी लागे सेज पिया बिन, राता फागण की
मीठो बोले रे पपैयो रुत आयी फागण की
गौरी जोवै बाट पिया थारी, कह गया आवण की
मीठो बोले रे.....
पाड़ोसन सिणगार करे म्हारो जी ललचावै रे
कसणा मेरी काचली रा खुल खुल जावै रे
चोली की कस टूटन लागी, भीगे लावण की
मीठो बोले रे पपैयो रुत आयी फागण की
गौरी जोवै बाट पिया थारी, कह गया आवण की
मीठो बोले रे.....
सोलह बरस री नार नवेली म्हे मुकलावे आयी रे
जोबानियो भरपूर भंवर म्हारे, मस्त जवानी छाई
फेर फेर पसवाडो रे रात्यु, बिताऊं फागण की
मीठो बोले रे पपैयो रुत आयी फागण की
गौरी जोवै बाट पिया थारी, कह गया आवण की
मीठो बोले रे.....
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