ऐ गोरी म्हारी म्हे तो चाल्या रे परदेश..२
लाडो म्हारी म्हे तो चाल्या ऐ परदेश..२
थाने तो तरसावा ला रे म्हारी जान. २
अरे पिया म्हारा तरसेगी म्हारी रे बलार
साजन म्हारा तरसेगी म्हारी रे बलार
पिवरिये उठ ज्यावागी रे म्हारा श्याम
पिवरिये चली ज्यावागी रे म्हारा श्याम
ओ गोरी म्हारी पिवर का लोग बदमाश .. २
भुंडी तो बातां बोल गां रे म्हारी नार - २
अरे साजन म्हारा नीची तो करल्या गा रे नाड़
पिया म्हारा नीची तो करल्या गा रे नाड़
काका न ताऊ कहदया गा रे मेरा श्याम - २
ओ गोरी गोरी म्हारी ऐ
ओ देवरीओ हैं बड़ो बदमास ......
ओ लाडो म्हारी ऐ
ओ देवरीओ बड़ो बदमास ......
मस्करी कर लो रे मेरी नार .... २
ऐ गोरी म्हारी ऐ
ओ देवरीओ बड़ो बदमास ......
ऐ लाजो म्हारी ऐ
ओ देवरीओ बड़ो बदमास ......
महला तो चढ़ जावगो ऐ मेरी नार - २
अरे साजन म्हारा जड़ ल्यागी रतन किवाड़
पिया म्हारा जड़ ल्यागी सजन किवाड़
भिन्ता स सीर फोड़ गो रे मेरा श्याम ...२
ओ गोरी म्हारी ऐ
ओ पिलंग बड़ो ऐ दरिआन
ऐजी लाडो म्हारी ऐ
ओ पिलंग बड़ो ऐ दरिआन
नींद कियां आव गी ऐ मेरी नार ....२
ओ जी पिया म्हारा आ छोटी नणद म्हारे साथ
बांथ भर सोवंगा रे मेरा श्याम ....२
ओ गोरी गोरी म्हारी ऐ.
पलंग तळ हैं कालो नाग
ओ गोरी गोरी म्हारी ऐ..
पलंग तळ हैं कालो नाग
अरे दो न्यान डस ज्याव्गो रे म्हारी नार ... २
अरे पिया म्हारा म्हे हा परदेशी की नार
साजन म्हारा म्हे हा परदेशी की नार
पिण्डो तो छूट ज्याव्गो रे मेरा श्याम
पिण्डो तो छूट ज्याव्गो रे मेरा श्याम
यह राजस्थानी लोकगीत जिसको संजय जी बिरख और उनकी माता श्री रुकमणी देवी जी ने गाया हैं।
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