उत्तरप्रदेश जिले के राम जन्म भूमि अयोध्या में राम मंदिर का कार्य चल रहा हैं। इसका गर्भगृह और पहला तल बनकर तैयार हुआ हैं और 500 वर्ष के लंबे संघर्ष के बाद, आज के दिन 22 जनवरी 2024 को इस मंदिर में भगवान श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई हैं। श्री राम मंदिर में विराजमान हो गए हैं।
राम मंदिर अयोध्या |
जय श्री राम मंदिर |
इस मंदिर के निर्माण कार्य की शुरुआत 5 अगस्त 2020 से हो गयी थी और अभी तक कार्य जारी हैं। यह मंदिर 250 फीट चौड़ा, 161 फ़ीट ऊँचा और 380 फीट लम्बा होगा। निर्माण कार्य पूरा होने के यह मंदिर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर होगा। इस मंदिर में लोहे का उपयोग नहीं किया गया हैं। केवल पत्थर और तांबे का उपयोग किया गया हैं।
श्री राम जन्म भूमि पर राम मंदिर के निर्माण के लिए अनेक जगहों से बहुत सामान अयोध्या आया हैं। जिसमे जलेसर से २४ किंवटल का मंदिर का घंटा, गुजरात के दगबर समाज ने एक विशाल नगाड़ा, जनकपुरी मिथिला यानि सीतामणि बक्सर और श्री राम जी के ननिहाल छत्तीसगढ़ से बड़े भार (अनाज,सोना, चाँदी,चिवड़ा, फल, मेवे और अनेक सामान अपनी स्वेच्छा से दिया हैं।
जोधपुर के एक संत महात्मा ने 6 किंवटल घी बैलगाड़ी में लादकर अयोध्या लाये हैं और काफी जगहों से भी घी अयोध्या में मंदिर के लिए आया हैं। मंदिर निर्माण के लिए जब निचले हिस्से यानी मिट्टी को मजबूत करने के लिए जो गिट्टी आयी हैं वो मध्यप्रदेश के छत्तरपुर से आयी हैं। उत्तरप्रदेश के राख राय बरेली के उन्चाहर से राख आयी हैं।
ग्रेनाईट तेलंगाना और कर्नाटक से, मंदिर में हल्के गुलाबी रंग का बलुआ पत्थर जो राजस्थान के भरतपुर जिले की तहसील में बंसी पहाड़पुर, सफ़ेद पत्थर राजस्थान के मकराणा से आया हैं। महाराष्ट्र के वेलार शाह से मंदिर के दरवाजो की लकड़ी आयी हैं जिस पर सोना चढ़ाया गया हैं जिसे मुंबई के एक डायमंड व्यापारी ने भेंट किया हैं। लकड़ी के दरवाजो की नक्काशी का काम हैदराबाद की कारीगर अनुराधा टिम्बर ने किया हैं जिनके सभी कारीगर तमिलनाडु के कन्याकुमारी से हैं। पिसीकारी उड़ीसा से हुई हैं।
जय श्री राम मंदिर |
कर्नाटक के पत्थर से भगवान श्री राम की मूर्ति को मैसूर के अरुण योगिराज ने बनाई गयी हैं जिसने केदारनाथ में शंकराचार्य की प्रतिमा और दिल्ली के इंडिया गेट पर जो सुभाष चंद्र बॉस की प्रतिमा बनाई हैं। भगवान श्री राम जी की मूर्ति के वस्त्र दिल्ली के नवयुवक मनीष त्रिपाठी ने मंदिर में ही रहकर तैयार किये हैं। मूर्ति के आभूषण लखनऊ की एक फर्म ने जयपुर से बनवाकर मंदिर में भेंट किये हैं। जयपुर के मूर्तिकार सत्यनाराण पांडेय ने मंदिर प्रांगण में जो 2 गज (हाथी), हनुमान जी, सिंह और गरुड़ को बनाया हैं। मार्बल का काम राणा मार्बल, धुत, नाकोड़ा और रमजान भाई इन सभी का सर्वाधिक योगदान रहा हैं।
श्री राम मंदिर, अयोध्या |
जटायू का निर्माण भी परम्परागत मूर्ति निर्माण करने वाला परिवार रामवन्त सुथार ने किया हैं।
गुजरात के वड़ोदरा से मंदिर के लिए 110 फुट लंबी अगरबत्ती आयी हैं। जो 90 दिन तक प्रजव्लित होती रहेगी। इस अगरबत्ती को बनाने के लिए 151 किलो गाय का घी, 376 किलो खोपरा, गूगल और गुलाब, 425 किलो हवन सामग्री, 1475 किलो गीर गाय के गौबर का पाउडर उपयोग में लिया गया हैं। जिससे इसका वजन 3500 किलो हो गया हैं और इसको बनाने में 6 महीने लग गये हैं।
मंदिर निर्माण में 4000 से भी ज्यादा लोगों ने कार्य किया हैं और कर रहे हैं।
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