Ker Ka achar |
कैर में ऊर्जा से भरपूर कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए और कार्बोहाइड्रेट्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट युक्त कैर और सांगरी की सब्जी बहुत से रोगों से बचाती है।
कैर का उपयोग : कैर को सुखाकर उसको पीसकर इसका चूर्ण बनाकर सुबह सुबह खाली पेट लेने से मधुमेह रोग में आराम मिलता है। कैर के डंठल से बने चूर्ण से कफ और खांसी में आराम मिलता है। कैर की छाल के चूर्ण से पेट साफ रहता है और कब्ज की समस्या दूर होती है। यह पेट संबंधी, जोड़ों के दर्द, दांत दर्द, गठिया, दमा, खांसी, सूजन, बार-बार बुखार होना, मलेरिया, डायबिटीज, बदहजमी, एसिडिटी, दस्त और कब्ज में काफी लाभदायक होता है।
कैर का अचार बनाने के लिए आवश्यक सामग्री:
* कैर - 250 ग्राम
* नमक - 1 छोटी चम्मच
* हल्दी पाउडर - 1 छोटी चम्मच
* लाल मिर्च - 1/4 छोटी चम्मच
* राई ( पीली सरसों ) - 2 टेबल स्पून
* सरसों का तेल - 350 ग्राम
* सिरका - 1 टेबल स्पून
* कलोंजी - 1 टेबल स्पून
* सोफ - 1 टेबल स्पून
* जीरा - 1 टेबल स्पून
विधि:
सबसे पहले कैर के डन्ठल तोड़कर उन्हैं साफ पानी से धो लीजिये। इन कैरियों को एक चीनी मिट्टी या मिट्टी के मटके में भर कर इतना पानी भर दें कि कैर डूब जाय और थोडा नमक भी मिला दीजिये। अब इस मटके को एक सूती कपड़े से ढककर धूप में रख दीजिये। कैर का पानी हर दो दिन बाद बदलते रहें।
पांच-छह दिनों में कैर का हरा रंग, पीले रंग में बदल जाता है और खाने पर कैर का स्वाद हल्का खट्टा-मिठा हो जाएगा जिससे समझ लिजिए की अचार बनाने के लिए कैर तैयार है। अब इन कैर को दो बार साफ पानी से धो कर छलनी में रख कर धूप में रख दीजिये। इसका पानी सूखा लेंगे। अब हम इस का अचार बनायेंगे।
सरसों के तेल को पैन में डालकर गरम, अच्छा गरम कीजिये, कढ़ाई को गैस से उतार कर नीचे रख लीजिये और तेल को हल्का ठंडा कर लीजिये। अब एक बर्तन में कैर, हल्दी पाउदर, नमक स्वाद अनूसार, राई, कलोंजी, सोंफ, जीरा और लाल मिर्च डालकर अच्छी तरहा मिला लिजिये।
अब कैर का बना मिश्रण हल्के ठंडे तेल में डालकर मिला लिजिये, अचार में थोडा सिरका डाल कर भी मिक्स कर दीजिये।
कैर का अचार तैयार है, अचार को पूरी तरह ठंडा होने के बाद, कांच या प्लास्टिक के कन्टेनर में भर कर रख लीजिये।
हर दो-तीन दिन में अचार को चमचे से चलाते रहिये। 8-10 दिन में अचार खट्टा और स्वादिष्ट होने लगता हैं। अब यह अचार आप के खाने के लिये तैयार है।
सुझाव:
* जिस डब्बे में आप अचार भर कर रखेंगे उसे उबलते पानी से धोकर धूप में सुखाकर तैयार कर लीजिये।
* अचार खाने के लिये जब भी निकालें सूखी और साफ चम्मच का इस्तेमाल कीजिये, अचार निकालते समय, हाथ भी सूखे होने चाहिये।
* अचार निकालने के बाद अचार को उसी चम्मच से ऊपर नीचे कर दीजिये, अचार की सेल्फ लाइफ बढ़ जाती है।
* हमेशा ध्यान रखे की अचार के ऊपर इतना तेल रहे कि अचार दिखाई ना दे, इस से अचार में फंगस नहीं लगेगी।
0 टिप्पणियाँ