राजस्थानी संस्कृति पर कविता (Poem on Rajasthani culture)

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राजस्थानी संस्कृति पर कविता (Poem on Rajasthani culture)

मांचे उपर सौवे सोडियो ! तकियो सौवे खोली मै,
हौको पीतो सौवे चौधरी ! बैठ्यो घर की पोली मै।

चूल्हे सारे सौवे चींपयो ! बुहारी सौवे खुणै मै,
संत महात्मा चोखा लागे ! तपता आपरे धूणै मै।

गीत गाती सौवे डूमणी !बैठी घर के गोखे पर,
बूढी ठेरी चोखी लागै ! ब्याव सावे के मौके पर।

राजा रै घर राणी सोवे ! लाट साहब घर लाटणी,
राजस्थानी संस्कृति पर कविता

Poem on Rajasthani culture


मार काछड़ो सिट्यां तोडै ! चोखी लागै जाटणी।

जैसी चाय छणै कपड़ा मै ! बिसी छणै नही जाली मै,
प्लेटां मे रोटी खाओ भलांई ! मजो तो आवै थाली मै।

चोखो लागे पहलवान ! कसरत करतो अखाड़े में,
नणद भौजाई चोखी लागै ! छल्डयां तोड़ती बाड़े में।

साग बेचती मालण सौवै ! चूड़ो बेचती मणीहारी,
सिर पर दौघड़ लियां कूऐ पर ! जाती सौवै पणीहारी।

छोडा छोलतो खाती सौवै ! कुम्हार सौवै गधी पर,
मार पालथी कलम चलातो ! बाणियो सौवै गद्दी पर।

गाय ठांण पर चोखी लागे ! सांड पिजंरा पोल मै,
नार होणी चावै गुणवंती ! के राख्यो है डोल मै।

नाक मै कांटो कान मै बाली ! सौवै बोरलो मिंडी मै,
देवी देवता चोखा लागै ! मन्दिर और परिण्डी मै।

आँख लाज सूं भरयां चालती ! चोखी लागै सुलक्षणी,
चटक मटक कर दांत काडती ! फिरै गल्यां मै कुलक्षणी।

आमां पर कोयलडी सौवै ! बागां सौवै मोरडी,
काड घूंघटो झालो देवै ! चोखी लागै गोरडी।

चोखा लागै पूर गूदड़ा ! माह पौह में जाडो आवै,
पूत कपूत और खोटो पीसो ! ओडी मै आडो आवै।

नान्यो चोखो लागै आंगणें ! मायं चलातो गाडूड़ो,
जापायत ने चोखो लागै ! अजवायन रो लाडूड़ो।।

🙏🏽🙏🏽 राम राम सा🙏🏽🙏🏽

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