चूरू शहर Churu City

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चूरू शहर Churu City

भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के मरुस्थलीय भाग का एक नगर एवं लोकसभा क्षेत्र है। इसे थार मरुस्थल का द्वार भी कहा जाता है। चूरू राजस्थान के उत्तर पूर्वी हिस्से में स्थित है। चूरू की स्थापना 1620 ई. में चूहरू जाट ने की थी।
चूरू जिले के पूर्व की तरफ हरियाणा, पश्चिम में बीकानेर जिला, उत्तर में हनुमानगढ़, दक्षिण पूर्व में झुंझुनू, दक्षिण पश्चिम में नागौर, दक्षिण में सीकर स्थित है।

Rajasthan Map
राजस्थान का नक्शा


churu district map
चूरू जिले का नक्शा

चूरू का किला – काठुर कुशल सिंह ने 1739 ई. में इसका निर्माण करवाया। इस किले में गोपीनाथ का मंदिर स्थापित है। इस किले मे युद्ध (आक्रमण) के समय गोला बारूद समाप्त होने पर दुश्मनो पर चाँदी के गोले दागे गये थे। 

Churu Fort, Churu
Churu Fort, Churu

1857 के विद्रोह में चूरू के ठाकुर ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई तो अंग्रेज तिलमिला उठे। तब अंग्रेजों ने बीकानेर से अपनी सेना लाकर चूरू के दुर्ग को चारों ओर से घेर कर तोपों से गोलाबारी की। जबाव में दुर्ग से भी गोले बरसाए गए, लेकिन जब दुर्ग में तोप के गोले समाप्त होने गले तो लुहारों ने नए गोले बनाए। वो भी कुछ समय के बाद समाप्त हो गए। गोला बनाने के लिए सामान इस्पात व अन्य सामग्री भी नहीं बची। इस पर सेठ साहुकारों और जनता ने अपने घरों से चांदी लाकर ठाकुर को समर्पित की। लुहारों व सुनारों ने चांदी के गोले बनाए। जिनमें बारूद भरा गया। जब तोप से चांदी के गोले निकले तो शत्रु सेना हैरान हो गई और दुर्ग का घेरा हटा लिया।
इस पर एक लोकोक्ति भी प्रचलित है-
धोर ऊपर नींमड़ी धोरे ऊपर तोप।
चांदी गोला चालतां, गोरां नाख्या टोप।।
वीको-फीको पड़त्र गयो, बण गोरां हमगीर।
चांदी गोला चालिया, चूरू री तासीर।।

शेखावाटी में स्थित चुरू, अपनी आलीशान हवेलियों और किलों के लिए प्रसिद्ध है। जिसका निर्माण पूरी तरह राजस्थानी शैली में किया गया है। इन हवेलियों और किलों की बाहरी दीवारों पर यहाँ के वीरों की वीर गाथाओं के चित्र बनाये गए हैं। कन्हैयालाल बागला हवेली, सुराना हवेली और मालजी का कमरा नमक इन तीनों हवेलियों की दीवारों पर (राजस्थानी कहानियों के कलाकार) डोला और मारू के जीवन के कई हिसों का चित्रण किया गया है। जो बेहद खूबसूरत हवेलिया हैं, जिनमें हजारों छोटे-छोटे झरोखे एवं खिड़कियाँ हैं। ये राजस्थानी स्थापत्य शैली का अद्भुत नमूना हैं जिनमें फ़्रेस्को पेण्टिंग्स एवं सुंदर छतरियों के अलंकरण भी हैं। नगर के निकट ही नाथ साधुओं का अखाड़ा भी है, जहां बड़े बड़े देवताओं एवं भगवानों की मूर्तियां बनी हैं। इसी नगर में एक धर्म-स्तूप भी बना है जो धार्मिक समानता का प्रतीक है। नगर के केन्द्र में एक दुर्ग है जो लगभग ४०० वर्ष पुराना है।

सीकर जिले का इतिहास 

ददरेवा – यह गोगा जी का जन्म स्थान है। यहां पर भाद्रपद मास में कृष्णा नवमी को मेला लगता है।

Gogaji ka Janmasthan, Dadrewa
ददरेवा गोगा जी

तिरूपति बालाजी – सुजानगढ़ में भगवान वैंकटेश्वर तिरूपति बालाजी का मंदिर 1994 में वैंकटेश्वर फाउन्डेशन ने करवाया।

गोपालपुरा - इसको महाभारत काल में पांडवों के गुरू द्रोणाचार्य ने बसाया था तथा यह द्रोणपुर के गाव नाम से भी जाना जाता है।
यहाँ पर प्रसिद्ध जैन मंदिर की बहुत ही सुंदर कलाकृति के नमूने देखने को मिलेंगे, अनूठी मिसाल है। रंग के स्थान पर सोने के पानी का इस्तेमाल किया गया है। इसे स्वर्ण मंदिर भी कहते हैं।

सालासार बालाजी

सालासार में भगवान हनुमान का मंदिर है। यह मंदिर जयपुर-बीकानेर मार्ग पर स्थित है। चूरू भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। माना जाता है कि यहां जो भी मनोकामना मांगी जाए वह पूरी होती है। प्रत्येक वर्ष यहां दो बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। यह मेले चैत्र (अप्रैल) और अश्विन पूर्णिमा (अक्टूबर) माह में लगते हैं। लाखों की संख्या में भक्तगण देश-विदेश से सालासार बालाजी के दर्शन के लिए यहां आते हैं। यह मंदिर पूरे साल खुला रहता है 

Salasar Temple, Churu
Salasar Temple, Churu

सुराना हवेली

यह सुराना हवेली छ: मंजिला इमारत है। यह काफी बड़ी हवेली है। इस हवेली की खिड़कियों पर काफी खूबसूरत चित्रकारी की गई है। इस हवेली में 1111 खिड़कियां और दरवाजे हैं। इस हवेली का निर्माण 1870 में किया गया था।

Surana Haveli, Churu
Surana Haveli, Churu

कोठारी हवेली का निर्माण एक प्रसिद्ध व्यापारी ओसवाल जैन कोठारी ने करवाया था जिसका नाम उन्होंने अपने गोत्र के नाम पर रखा। इस हवेली पर की गई चित्रकारी काफी सुंदर है। कोठारी हवेली में एक बहुत कलात्मक कमरा है, जिसे मालजी का कमरा कहा जाता है। इसका निर्माण उन्होंने सन 1925 में करवाया था।

Malji Ka Kamra
Malji Ka Kamra

चूरू में कई आकर्षक गुम्बद है। अधिकतर गुम्बदों का निर्माण धनी व्यापारियों ने करवाया था। ऐसे ही एक गुम्बद-आठ खम्भा छतरी का निर्माण सन 1776 में किया गया था।


ताल छापर

ताल छापर अभयारण्य चुरू जिले में स्थित है। यह जगह मुख्य रूप से काले हिरण के लिए प्रसिद्ध है। इस अभयारण्य में कई अन्य जानवर जैसे-चिंकारा, लोमड़ी, जंगली बिल्ली के साथ-साथ पक्षियों की कई प्रजातियां भी देखी जा सकती है। इस अभयारण्य का क्षेत्रफल 719 वर्ग हेक्टेयर है तथा यह कुंरजा पक्षीयो (demoiselle cranes) के लिये भी नामित है।

Tal Chappar, Churu

Tal Chhapar Abhyaran
Tal Chappar, Churu

Tal Chhapar Abhyaran
Tal Chappar, Churu






Jain Golden Temple
Jain Golden Temple

Jain Golden Temple
Jain Golden Temple


Jain Golden Temple
Jain Golden Temple

Jain Golden Temple
Jain Golden Temple

Kanhaiyalal Bagla Haveli, Churu
Kanhaiyalal Bagla Haveli, Churu


Ratangarh Fort
Ratangarh Fort


Sethani Ka johara, Churu
Sethani Ka johara, Churu




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