लक्ष्मणगढ़ किला भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ शहर में एक पहाड़ी पर पर बना हुआ किला है। सीकर से 30 किलोमीटर (19 मील) स्थित, यह सीकर के राव राजा, 1862 में लक्ष्मण सिंह द्वारा बनाया गया था, जिन्होंने 1864 में इसके चारों ओर वर्तमान लक्ष्मणगढ़ शहर की स्थापना की थी। इस किले निर्माण के बाद पड़ोस राजाओ ने हमले भी किये, किले पर १८८९ में खेतड़ी, फतेहपुर और मंडावा के शासकों ने राजा बख्तावर सिंह के नेतृत्व हमला किया था।
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Laxmangarh Fort
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यहाँ के तत्कालीन राजा ने डूंगजी जवाहरजी की सहायता स
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शत्रुओ को खदेड़ दिया, किले में उस समय भी ३ तोपें थी जो दुश्मनो पर हमेशा
भारी पड़ी, इन तोपों के नाम थे कड़क, बिजली और भवानी, आज भी इन तोपों को देख
पाते अगर वर्तमान में व्यक्तिगत संपत्ति न होती, २० वी शताब्दी (1960 ) मे
राओ लक्ष्मण सिंह के वंशजो से इस कीलें को राम निवास जी झुझनूंवाला परिवार
के सदस्यों द्वारा खरीद लिया था और तब किले की देखरेख उनके ही हांथो में
है।
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Laxmangrah Fort |
इस लक्ष्मणगढ़ शहर में सबसे भव्य इमारत अपने छोटे किले (झुनझुनवाला
परिवार के स्वामित्व वाले) है, जो पश्चिम की तरफ से अच्छी तरह से बनी हुई
टाउनशिप से अधिक है। लक्ष्मणगढ़ का किला पूरे विश्व में फोर्ट वास्तुकला का
एक अनूठा टुकड़ा है, क्योंकि ढांचे के विशाल चट्टानों के बिखरे हुए
टुकड़ों पर बनाया गया है।
शेखावाटी के राजपूत किलों एवं हवेलियों में
बनी सुंदर फ्रेस्को पेंटिंग्स दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इसी के चलते
शेखावाटी अंचल को राजस्थान के ओपन आर्ट गैलरी की संज्ञा दी जाती है। 1830
से 1930 के दौरान व्यापारियों ने अपनी सफलता और समृद्धि को प्रमाणित
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Laxmangarh Fort |
करने
के उद्देश्य से सुंदर एवं आकर्षक चित्रों से युक्त हवेलियों का निर्माण
कराया। इनमें लक्ष्मणगढ़ का किला, राधिका मुरली मनोहर मंदिर, डाकनियों का
मंदिर चार चौक हवेली, चेतराम संगनीरिया हवेली, राठी परिवार हवेली,
श्योनारायण कयल हवेली और श्रद्धा नाथ जी का आश्रम दर्शनीय आकर्षण हैं।
हवेलियों के रंग शानों-शौकत के प्रतीक बने। समय गुजरा तो परंपरा बन गए और
अब तो विरासत का रूप धारण कर चुके हैं। कलाकारों की कल्पना जितना उड़ान भर
सकती थी, वह सब इन हवेलियों की दीवारों पर आज देखने को मिलता है।
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Char Chowk Haveli
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Laxmangarh City | |
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Modi Collage, Laxmangarh |
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Bhuma Chhota
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Char Chowk ki haveli, Laxmangarh |
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