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Duff |
फाल्गुन का महीना शुरू होने के साथ ही शेखावाटी क्षेत्र में झुंझुनू जिले के
नवलगढ़ तहसील के चिराना का ढफ (चंग) बनाने का काम परवान पर चढ़ जाता हैं। आम की लकड़ी
और भेड़ की खाल से बना चिराना का ढफ इतना प्रसिद्ध हैं कि एक सीजन में हजारों ढफ बिक
जाते हैं। चिराना के ढफ दूर दूर तक प्रसिद्ध होने से लगातार इनकी मांग प्रदेश भर में
बढ़ती जा रही हैं। पिछले पाँच वर्षो में इनके कारोबार में तेजी आई हैं। चिराना के ढफों
की मांग शेखावाटी के क्षेत्रों के अलावा दूसरे शहरों में भी रहती हैं। होली से पहले
दूसरे शहरों से लोग ढफ खरीदने के लिए आते हैं। यहाँ के कारीगर अपने घर पर ही भेड़ की
खाल से ढफ मंढ़कर बेचते हैं। चिराना में सैनी समाज के दौलत राम सैनी, सीताराम सैनी तथा
रैगर समाज के आधा दर्जन परिवार पीढ़ियों से यह काम कर रहा हैं। चिराना में बनने वाले
ढफ की साइज़ 27 से 32 इंच होती हैं।
ढफ तैयार करने के लिए सबसे पहले खाती से लकड़ी का घेरा तैयार करवाया जाता हैं।
ढफों को मंढने के लिए कुचामन, सीकर और नागौर से भेड़ की खाल मंगवाई जाती हैं। आक के
दूध से खाल को साफ करके गुड़, मेथी, गोंद का घोल बनाकर उससे खाल को घेरा पर चिपकाया
जाता हैं और छाँव में सुखाया जाता हैं। होली से पहले एक ढफ की कीमत 800 से 1500 रुपए
तक होती हैं। होली के एक माह के सीजन में चिराना से हजारों के करीब ढफ बिक जाते हैं।
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ढफ |
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