Bhachid - Rajasthani Story

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Bhachid - Rajasthani Story

मारवाड़ी में भचीड़ काईं हुवे


एक बार सोलापुर, महाराष्ट्र के एक गुरूजी की नौकरी राजस्थान में लागगी...
राजस्थान में रतां गुरूजी ने कई साल होग्या...
और गुरूजी को मारवाड़ी भाषा का काफी ज्ञान बी होग्यो
और बे टाबरां ने केंवता की मने पूरी मारवाड़ी आवे लागी है
Teacher
Teacher in classroom

छोरा बोल्या - गुरूजी मारवाड़ी तो म्हाने भी पूरी कोनी आवे तो थे कठेऊ सिखग्या...?
गुरूजी बोल्या - मने तो पूरी आवे है .. थे कीं पूछ सको हो..
छोरा बोल्या - लगाओ 500 की शर्त.........
गुरूजी शर्त लगा ली..
एक दिन गुरूजी सुबह सुबह जंगळ (toilet) जा के आया।
टूंटी पर हाथ धोवा हा कि टींगर बोल्या
"गुरूजी दिआया भचीड़..?" :)
गुरूजी सोच्यो फ्रेश होर आणा न ही भचीड़ केवे है..
बे बोल्या- "हाँ भाई दिआयो भचीड़" :)
बात आई गई हूगी। 
दोपारां बोर्डिंग मेस में खीर बनाई..
एक कानी गुरूजी.. दूसरी कानी छोरा बैठ्या जीमण ने लाग रह्या था
गुरूजी बोल्या - "भाई खीर की खुशबू तो घणी सांतरी आवे है .. लागे है खीर जोरदार बनी है।"
छोरा बोल्या - "पछ देखो काईं हो गुरूजी.. देवो भचीड़... :) "
गुरूजी सोच्यो खीर खाणे ने भी भचीड़ ही केवे है शायद...
शाम को मैदान में रस्सा कसी को खेल चाल रियो हो।
गुरूजी एक छोर रस्से को पकङ के उभा हा।
बठीनू छोरा आया और बोल्या - "कांई करो गुरूजी..?"
गुरूजी - "भाई रस्सा खेंच प्रतियोगिता चालू है।"
छोरा - "पछे देखो कांई हो गुरूजी..देवो भचीड़..." :)
गुरूजी रस्से ने खींची.. तो बा टूट गी और गुरूजी के लागी खोपड़ी में ।
छोरा बोल्या - "गुरूजी खा लियो न भचीड़" :)
गुरूजी बोल्या - "सुबह से हर बात में एक ही बात ..भचीड़ भचीड़ भचीड़ ;) ...
कांई है ओ भचीड़?"
छोरा बोल्या -" गुरूजी म्हे पेली ही थाने कियो कि
मारवाड़ी भाषा ने कोई नई समझ सक है
तो देवो 500 रिपिया...." :) :)
गुरूजी दुखी मन स्यू दिया.
छोरा फेर बोल्या - "तो आ है मारवाड़ी गुरूजी..
लाग ग्यो न 500 को भचीईईईइड़ .." :) :)
😬😬😬😬😬😬😁😁😁😁😁😁😁😁😡😡😡😡😡

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