*महंगाई*
'टमाटर' अस्सी का होग्या,' आलू होग्या तीस।
'दाळ' पूगी दोसौ नेड़ी, 'भिंडी' पाव पच्चीस।।
'भिंडी' पाव पच्चीस, 'दूध'भी गयो पचासां पार।
जनता पर पड़ने लागी है, अब चौतरफा मार।।
'गोभी' और 'करेला' 'ककड़ी', कियाँ खरीदां मोल।
'लौकी' 'परवल' 'धनिया' 'मिर्ची', सब होग्या अनमोल।।
सब होग्या अनमोल, 'दही' भी लागण लाग्यो खाटो।
'चीणी' सरपट दौड़े, महंगो हुयो 'गेहुं' को आटो।।
'घी' 'तेल' भी सस्ता होणे को नहीं लेवे नाम।
'चायपत्ती' 'मिर्च मसाला', सबका बढ्ग्या दाम।।
सबका बढ्ग्या दाम, 'बेसन' भी नब्बे पर पुग्यो।
'अच्छे दिन' की आस आस में, जीणों मुश्किल हुग्यो।।
दिन दूणी बढती महंगाई, 'जनता' के खावेला।
एक बिचारो आम आदमी, कैयाँ जी पावेला।।
'टमाटर' अस्सी का होग्या,' आलू होग्या तीस।
'दाळ' पूगी दोसौ नेड़ी, 'भिंडी' पाव पच्चीस।।
'भिंडी' पाव पच्चीस, 'दूध'भी गयो पचासां पार।
जनता पर पड़ने लागी है, अब चौतरफा मार।।
'गोभी' और 'करेला' 'ककड़ी', कियाँ खरीदां मोल।
'लौकी' 'परवल' 'धनिया' 'मिर्ची', सब होग्या अनमोल।।
सब होग्या अनमोल, 'दही' भी लागण लाग्यो खाटो।
'चीणी' सरपट दौड़े, महंगो हुयो 'गेहुं' को आटो।।
'घी' 'तेल' भी सस्ता होणे को नहीं लेवे नाम।
'चायपत्ती' 'मिर्च मसाला', सबका बढ्ग्या दाम।।
सबका बढ्ग्या दाम, 'बेसन' भी नब्बे पर पुग्यो।
'अच्छे दिन' की आस आस में, जीणों मुश्किल हुग्यो।।
दिन दूणी बढती महंगाई, 'जनता' के खावेला।
एक बिचारो आम आदमी, कैयाँ जी पावेला।।
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