मोट्यार लुगाई की बाताँ - राजस्थानी कहानी

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मोट्यार लुगाई की बाताँ - राजस्थानी कहानी

Rajasthani Arts Painting
Rajasthani Arts Painting
मोट्यार लुगाई बैठया हा बैठया बैठया बात करे
लुगाई बोली : सुणो हो के थे, आपां एक भैंस लियावा
मोट्यार: -बावळी तनै बैठी सुती के भैस ही दिखे, भैंस को काम घणो करङो होया करे, कुण करसी ?
लुगाई बोली:- देखोजी काम तो आपां मिलजुल के करल्यां किं थे कर लीज्यो, किं मै करलेस्यू घर मै खाण ने दुध दही को लगावण होजी सी, दो पीसा मजूरी हो जीसी
मोट्यार:-- बात थारी स्याणी है कमाई होई जणा टाबरां पढा लिखा के मिनख बणाद्या आपां तो कोनी पढ्या पण टाबरां पढालेस्यां
लुगाई बोली ----अजी सुणे है के
मोट्यार ----के कह है
लुगाई: --मै मेरी मां दही दुध दे के आस्यू बा घणी राजी होसी मेरा भतीजा भतीजी भी दुध दही खा लेसी
मोट्यार --तेरी बळद्याऊं, भैंस का पीसा काटस्यू मैं दुध दही खासी तेरे पीरे का
लुगाई: --तो कांई होयो जी मेरा भाई भतीजा खाग्या तो कांई आंट होगी
मोट्यार --मै तो धार के मुण्डो ही कोनी लगाण देऊं जे कोई आसी तो डांग सरकास्यू
लुगाई: --मेरे भाई भतीजा डांग मारस्यो मै थारो भोभरो फोङ देस्यू (दोनूं दे मार दे मार लङबा लागग्या पङोसी भेळा होग्या )
पङौसी -- भाई के होयो किंया आपस मं लङरया हो
मोट्यार --लङने की तो बात ही है म्हारे घरआळी भैंस को दुध आपके भाई भतीजा ले जार देव, मै ले ज्याण कोनी द्यूं भैंस की सेवा करां म्हे दुध दही खावे इंक घर का ?
पङोसी --या बात तो माङी है भौजाई थारे पीहर का दुध
दही कियां खावे
लुगाई: --अजी देवरजी म्हारे पीहर का दुध दही खा लियो
तो कांई होग्यो
पङौसी --बात तो साची है भोजाई ,पण थारी भैंस है
कठै कांई चरबा गई है के
घर की धीराणी -- ना देवर जी भैंस तो म्हे खरीदस्यां,
ओज्यूं म्हे खरीदी कोनी
पङौसी बेहोश :) ;) ;) :)

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