एक छोरी काळती - कविता

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एक छोरी काळती - कविता

Girl
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एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती,
सींवा जोड़ खेत म्हारो चाव सूँ रूखाळती | (एक छोरी...
ऊंचा ऊंचा टीबडा मै रूंखड़ा रो खेत हो,
खेत रुजगार म्हारो खेत सूँ ही हेत हो |
हेत हरियाल्या नै तावडा सूँ टाळती ||  (एक छोरी ...

बेल बीरो शीश फूल फूल बीरी राखड़ी, 
एक बार आखडी तो बार बार आखडी |
लाज सूँ झुकी झुकी सी लूगड़ी संभाळती||  (एक छोरी ...
भोत राजी रेवती तो झूपडी बुहारती,
रूसती तो गाव्ड्या नै बाछड़ा नै मारती |
हेत जै जणावती तो टींडसी उछाळती || (एक छोरी ...
गाँव रै गुवाड़ बीच देखती ना बोलती,
हेत सूँ बुलावता तो आँख भी ना खोलती |
खेत मै ना जावता तो गाळीयाँ निकालती || (एक छोरी ....


एक छोरी काळती - कविता  --- ----   भागीरथ सिंह भाग्य

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