Girl |
सींवा जोड़ खेत म्हारो चाव सूँ रूखाळती | (एक छोरी...
ऊंचा ऊंचा टीबडा मै रूंखड़ा रो खेत हो,
खेत रुजगार म्हारो खेत सूँ ही हेत हो |
हेत हरियाल्या नै तावडा सूँ टाळती || (एक छोरी ...
बेल बीरो शीश फूल फूल बीरी राखड़ी,
एक बार आखडी तो बार बार आखडी |
लाज सूँ झुकी झुकी सी लूगड़ी संभाळती|| (एक छोरी ...
भोत राजी रेवती तो झूपडी बुहारती,
रूसती तो गाव्ड्या नै बाछड़ा नै मारती |
हेत जै जणावती तो टींडसी उछाळती || (एक छोरी ...
गाँव रै गुवाड़ बीच देखती ना बोलती,
हेत सूँ बुलावता तो आँख भी ना खोलती |
खेत मै ना जावता तो गाळीयाँ निकालती || (एक छोरी ....
एक छोरी काळती - कविता --- ---- भागीरथ सिंह भाग्य
लाज सूँ झुकी झुकी सी लूगड़ी संभाळती|| (एक छोरी ...
भोत राजी रेवती तो झूपडी बुहारती,
रूसती तो गाव्ड्या नै बाछड़ा नै मारती |
हेत जै जणावती तो टींडसी उछाळती || (एक छोरी ...
गाँव रै गुवाड़ बीच देखती ना बोलती,
हेत सूँ बुलावता तो आँख भी ना खोलती |
खेत मै ना जावता तो गाळीयाँ निकालती || (एक छोरी ....
एक छोरी काळती - कविता --- ---- भागीरथ सिंह भाग्य
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