चूलह कने जचे चिमपियो - कविता

gadstp

चूलह कने जचे चिमपियो - कविता

चूलह कने जचे चिमपियो
चाकी जचे पोली में !
छपर खाट चोबारा जचे
तकियो जचे खोली में !!

गाय भैंस गोर में जचे,
भेड़ बकरिया टोली में !
रंग गुलाबी लागे मुंडा पे,
डोळ बिगड़ज्या होली में !!
Village
Village

रोही में जचे कमेड़ी,
जचे मोरियॊ बागा में !
सुई साग जचे भुणीय,
रंग बिरंगे तागा में !!

पान लिया पनवाड़ी जचे,
हाथ लिवड़ा काथा में !
कांदा साथे जचे राबडी,
मिसी रोटी हाथा में !!

मार पलाथी जचे बाणयो,
कलम चलातो खाता में !
ब्राह्मण गले जचे जनेउ,
लंबी चोटी माथे में !!

चंचल नार जचे झरोखे,
स्याणी नार चौके में !
बात केओ तो कणाई,
पण जचे कयोड़ी मोके में !!!

" शेखावाटी अँचल "

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ