श्योनाथपुरा गांव भाईचारे की मिसाल पेश कर रहा है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक बीते तीन सालों में इस गांव से एक भी मामला थाने में दर्ज नहीं हुआ है। यहां चौपाल ही गांव के लिए थाना और कचहरी है। आपसी विवादों निपटारा चौपाल पर ही कर दिया जाता है।
उदयपुरवाटी तहसील के अंतिम छोर पर चनाना के निकट आबाद है श्योनाथपुरा। करीब 300 साल पहले बसा यह गांव आज विकास की राह रफ्तार पकड़ रहा है। पुलिस रिकॉर्ड देखें तो बीते तीन सालों में इस गांव का कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की मुकदमेबाजी में फंसा हुआ नहीं है और ही किसी व्यक्ति के खिलाफ गुढ़ागौड़जी थाने में कोई एफआईआर ही दर्ज हुई है। सरपंच सावित्री धाभाई का कहना है कि हालांकि सरकार ने अपने मापदंडों के मुताबिक इसे आदर्श गांव घोषित नहीं किया है, लेकिन ग्रामीण अपनी समझबूझ से आदर्शता के सूत्रों में बंधे हैं। गांव में अगर किसी को कोई शिकायत हो तो वह थाना/कचहरी नहीं जाकर ग्रामीणों के बीच चौपाल में अपना पक्ष रखता है और चौपाल में जो फैसला होता वह सभी को मान्य होता है। एक और खास बात है कि यहां शराब की एक भी दुकान नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि वे लोग गांव में शराब की दुकान खुलने ही नहीं देते हैं।
गांव के किशोर गुर्जर, करणीराम गुर्जर, बजरंग गुर्जर, संजय बीछर, ताराचंद गुर्जर आदि ने बताया कि छोटे-मोटे मामलों को लोग बैठकर निपटा लेते हैं। किसी भी तरह शिकायत मिलने पर गांव के मुख्य स्थान पर बैठकर उसका निपटारा किया जाता है। साथ ही यहां शिक्षा के प्रति भी जागरूकता है।
गुढ़ागौड़जी. श्योनाथपुरा में गांव के मुख्य स्थान पर बैठे ग्रामीण।
अनेकता में एकता का माहौल | पंचहवासिंह ने बताया कि गांव में जाट, गुर्जर, ब्राह्मण, बावरिया, मेघवाल, सुनार, नाई, खाती आदि जातियों के करीब 300 परिवार हैं। उन्होंने बताया कि कभी गांव में लड़ाई-झगड़े की नौबत आई ही नहीं आई। चुनावों के वक्त भी लोग शांतिपूर्वक मतदान करते हैं। इसके बाद सभी मिल-जुलकर रहते हैं। हजारीलाल गुर्जर, रामनिवास एवं सहदेव गुर्जर ने बताया कि गांव में कोई राजनीति में नहीं उलझता है। यही कारण है कि गांव की आबोहवा में प्रेम और सहयोग की बयार बह रही है।
गांव में शांति एवं सद्भाव कायम रहे इसके लिए ग्रामीण सदैव आगे रहते हैं। यहां महिलाओं बुजुर्गों को सम्मान मिलता है, तो युवाओं को स्नेह। -सावित्री धाभाई, सरपंच
सरकारके निर्देशानुसार ऐसे गांवों की छंटनी कर रहे हैं जिनमें पिछले कई सालों से मुकदमे दर्ज नहीं हुए हैं। साथ ही अन्य गांव भी उनसे प्रेरणा लें इसके लिए उन गांवों को प्रोत्साहित करने की भी योजना बनाई जा रही है। गणतंत्र दिवस पर उन गांवों को सम्मानित करने पर भी विचार किया जा रहा है। ऐसे गांव पुलिस के लिए आदर्श गांव हैं। -सुरेंद्र कुमार गुप्ता, पुलिस अधीक्षक
श्योनाथपुराअन्य गांवों के लिए प्रेरणास्पद है। अन्य गांवों के लोगों को भी श्योनाथपुरा से प्रेरणा लेने के लिए जागरूक किया जाएगा। गांव के विकास के लिए अलग से बजट मिले इसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। -शुभकरण चौधरी, विधायक उदयपुरवाटी
उदयपुरवाटी तहसील के अंतिम छोर पर चनाना के निकट आबाद है श्योनाथपुरा। करीब 300 साल पहले बसा यह गांव आज विकास की राह रफ्तार पकड़ रहा है। पुलिस रिकॉर्ड देखें तो बीते तीन सालों में इस गांव का कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की मुकदमेबाजी में फंसा हुआ नहीं है और ही किसी व्यक्ति के खिलाफ गुढ़ागौड़जी थाने में कोई एफआईआर ही दर्ज हुई है। सरपंच सावित्री धाभाई का कहना है कि हालांकि सरकार ने अपने मापदंडों के मुताबिक इसे आदर्श गांव घोषित नहीं किया है, लेकिन ग्रामीण अपनी समझबूझ से आदर्शता के सूत्रों में बंधे हैं। गांव में अगर किसी को कोई शिकायत हो तो वह थाना/कचहरी नहीं जाकर ग्रामीणों के बीच चौपाल में अपना पक्ष रखता है और चौपाल में जो फैसला होता वह सभी को मान्य होता है। एक और खास बात है कि यहां शराब की एक भी दुकान नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि वे लोग गांव में शराब की दुकान खुलने ही नहीं देते हैं।
श्योनाथपुरा में ग्रामीण |
गांव के किशोर गुर्जर, करणीराम गुर्जर, बजरंग गुर्जर, संजय बीछर, ताराचंद गुर्जर आदि ने बताया कि छोटे-मोटे मामलों को लोग बैठकर निपटा लेते हैं। किसी भी तरह शिकायत मिलने पर गांव के मुख्य स्थान पर बैठकर उसका निपटारा किया जाता है। साथ ही यहां शिक्षा के प्रति भी जागरूकता है।
गुढ़ागौड़जी. श्योनाथपुरा में गांव के मुख्य स्थान पर बैठे ग्रामीण।
अनेकता में एकता का माहौल | पंचहवासिंह ने बताया कि गांव में जाट, गुर्जर, ब्राह्मण, बावरिया, मेघवाल, सुनार, नाई, खाती आदि जातियों के करीब 300 परिवार हैं। उन्होंने बताया कि कभी गांव में लड़ाई-झगड़े की नौबत आई ही नहीं आई। चुनावों के वक्त भी लोग शांतिपूर्वक मतदान करते हैं। इसके बाद सभी मिल-जुलकर रहते हैं। हजारीलाल गुर्जर, रामनिवास एवं सहदेव गुर्जर ने बताया कि गांव में कोई राजनीति में नहीं उलझता है। यही कारण है कि गांव की आबोहवा में प्रेम और सहयोग की बयार बह रही है।
गांव में शांति एवं सद्भाव कायम रहे इसके लिए ग्रामीण सदैव आगे रहते हैं। यहां महिलाओं बुजुर्गों को सम्मान मिलता है, तो युवाओं को स्नेह। -सावित्री धाभाई, सरपंच
सरकारके निर्देशानुसार ऐसे गांवों की छंटनी कर रहे हैं जिनमें पिछले कई सालों से मुकदमे दर्ज नहीं हुए हैं। साथ ही अन्य गांव भी उनसे प्रेरणा लें इसके लिए उन गांवों को प्रोत्साहित करने की भी योजना बनाई जा रही है। गणतंत्र दिवस पर उन गांवों को सम्मानित करने पर भी विचार किया जा रहा है। ऐसे गांव पुलिस के लिए आदर्श गांव हैं। -सुरेंद्र कुमार गुप्ता, पुलिस अधीक्षक
श्योनाथपुराअन्य गांवों के लिए प्रेरणास्पद है। अन्य गांवों के लोगों को भी श्योनाथपुरा से प्रेरणा लेने के लिए जागरूक किया जाएगा। गांव के विकास के लिए अलग से बजट मिले इसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। -शुभकरण चौधरी, विधायक उदयपुरवाटी
0 टिप्पणियाँ