चिड़िया और चिड़ा की कहानी (Story of chida chidi - Rajasthani Poem)

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चिड़िया और चिड़ा की कहानी (Story of chida chidi - Rajasthani Poem)

चिड़िया और चिड़ा की कहानी

चिडलो ल्यायो चावळ
और चिडली ल्याई दाळ।
लागी सिजोवण खीचडी,
चिडली चूलो बाळ।।

भाज कुआ पर ढाणां माळै
चिडली पाणी ल्याई।
अतरा मैं चिडो एकलो,
चिडा-चिडी री का'णी - कविता
Story of chida chidi - Rajasthani Poem

सबड खीचडी खाई।
चौलो करयो खराब
और बो बासण दिया उछाळ।
चिडलो ल्यायो चावळ
और चिडळी ल्याई दाळ।।

चिडली बोली वो रे चिडला,
आ कुण करी सफाई?
म्हारै जाबा कै पाछै कुण,
सिजो खीचडी खाई?
आछो बाबा तू ही खाजै,
बेगीसी क निकाळ।
चिडलो ल्यायो चावळ
और चिडली ल्याई दाळ।।

भाज बिलाई लेवण पूगी,
ल्याई खीरो जार।
अतरा मै तो चिडा चिडी भी।
उडग्या पांख पसार।
दोनी चाली चाल,
अजी हां दोनी करी कमाल।
चिडलो ल्यायो चावळ
और चिडली ल्याई दाळ।।

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