आंवतो सो स्याळो - राजस्थानी कविता
सूथरी सी पौफाटी !
चढतो सो सूरज
चढतो सो सूरज
सुकून देती तावङी !
चूल्हा कन तपती ताई
चूल्हा कन तपती ताई
सागै चढाई चावड़ी !
टाबर टोळी सीयां मरगी
टाबर टोळी सीयां मरगी
सूता उघाड़ा रात्यूं !
नाक सूं चाल्या नाळा
नाक सूं चाल्या नाळा
सुल्डावैं घरका सारा !
भारो काड्यो अर् हुई सांतरी गुवाड़ी
नीची हुतां दुखै है काकी री कड़तूङी
उमर ढळी अर् हाड अब तो बोलैं जरङ जरङ
पण काको तो बाजरा आळी चूरै है जरङ जरङ
टाबरां न आवै नहातां जोर
छोरां न दीखै है गरूजी आळो डंडो
गरूजी न आवे है तागड़ी आळो फंडो
तागड़ी गीली तो "टाबर स्याणु"
तागड़ी सूखी तो काडो हाथ अर् मिलवाओ डंडो
दिन उगै अर् भागपाट॒यां सी मोरिया बोलै पीयू पीयू
मोट्यार देवै दही रोटी क सबङको अर् गावै सीयू सीयू
काको तो करी प्लानिंग, आज मुल॒डो झाड़णूं है
काकी न भी दोपारां ताणी बेस एक जड़णू है
छोरा तो करसीं गिंडी सोटा, गाळ सुणसीं दादा कनां
अठीन चढगा, बठीन कूदगा, बनां चप्पलां, नेकर बनां
चोखो खाओ, चोखो खेलो उमर जायली टेम बनां
फेर कहोला 'टेम कोनी-टेम कोनी'
उमर जायली टेम बनां !!
भारो काड्यो अर् हुई सांतरी गुवाड़ी
नीची हुतां दुखै है काकी री कड़तूङी
उमर ढळी अर् हाड अब तो बोलैं जरङ जरङ
पण काको तो बाजरा आळी चूरै है जरङ जरङ
टाबरां न आवै नहातां जोर
छोरां न दीखै है गरूजी आळो डंडो
गरूजी न आवे है तागड़ी आळो फंडो
तागड़ी गीली तो "टाबर स्याणु"
तागड़ी सूखी तो काडो हाथ अर् मिलवाओ डंडो
दिन उगै अर् भागपाट॒यां सी मोरिया बोलै पीयू पीयू
मोट्यार देवै दही रोटी क सबङको अर् गावै सीयू सीयू
काको तो करी प्लानिंग, आज मुल॒डो झाड़णूं है
काकी न भी दोपारां ताणी बेस एक जड़णू है
छोरा तो करसीं गिंडी सोटा, गाळ सुणसीं दादा कनां
अठीन चढगा, बठीन कूदगा, बनां चप्पलां, नेकर बनां
चोखो खाओ, चोखो खेलो उमर जायली टेम बनां
फेर कहोला 'टेम कोनी-टेम कोनी'
उमर जायली टेम बनां !!
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