ठंड पड़ै है ठाकरां - कविता (It's cold Thakra- Poem)

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ठंड पड़ै है ठाकरां - कविता (It's cold Thakra- Poem)

It's cold Thakra- Poem

ठंड पड़ै है ठाकरां - कविता

ठंड पड़ै है ठाकरां - कविता 


ठंड पड़ै है ठाकरां, ठावा रैवो ठाण ।
सीसी ढाळो सूंडकी, तन री सुधरै तान ।।

गूदड़ ओढो गरमड़ा, धूणीं तापो धाप ।
मुंडै धारो मूनड़ो, जूण रा जपो जाप ।।

बेगा जागो बापजी, जमों रसोई जाय ।
सीरो ठोको सांतरो, ऊपर पीयो चाय ।।


जीमों खूब जमावणों, घाल धपटवों घीव ।
मौजां खाओ मूंफळी, राजी रैसी जीव ।।


आधी खोलां आंखड़ी, चेतै आवै चाय ।
बिना चाय रै बापजी, जागण बिरथा जाय ।।


"भाईलोगाँ सर्दी घणी है!”
जापतो राखज्यो जापतो राख्योङो बतो है॥

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