ठंड पड़ै है ठाकरां - कविता |
ठंड पड़ै है ठाकरां - कविता
सीसी ढाळो सूंडकी, तन री सुधरै तान ।।
गूदड़ ओढो गरमड़ा, धूणीं तापो धाप ।
मुंडै धारो मूनड़ो, जूण रा जपो जाप ।।
बेगा जागो बापजी, जमों रसोई जाय ।
सीरो ठोको सांतरो, ऊपर पीयो चाय ।।
जीमों खूब जमावणों, घाल धपटवों घीव ।
मौजां खाओ मूंफळी, राजी रैसी जीव ।।
आधी खोलां आंखड़ी, चेतै आवै चाय ।
बिना चाय रै बापजी, जागण बिरथा जाय ।।
"भाईलोगाँ सर्दी घणी है!”
जापतो राखज्यो जापतो राख्योङो बतो है॥
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