जीमो कंवर तेजा रै - कविता (Jimo Kanwar Teja Re - Rajasthani Poem)

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जीमो कंवर तेजा रै - कविता (Jimo Kanwar Teja Re - Rajasthani Poem)

Jimo Kanwar Teja Re - Rajasthani Poem
जीमो कंवर तेजा रै - कविता 
कोरी मोरी रोटी आज जीमो कंवर तेजा रै
दाळां तो हुगी रै मंहगा भाव की
दाळां री कांई थानै जुर्रत पङगी भावज म्हारी ओ
तेजो तो खालेसी कांदो राबङी
कांदा रा तू भाव कोनी सुण्या कंवर तेजा रै
ठंडा तो हुज्यासी सुणकर कानङा
छोङ सारा परपच तू ले आती खाटो राबङी
तेजो तो कर लेतो खा पी मौजङी
हरियो हरियो चारो थे निपजावो कंवर तेजा रै
बंटो तो दिरवावो बाखङ भैंस नै
सूखा उङता बादळ्या चिढावै भावज म्हारी ओ
बिजळी रा झटकां म अटकी ज्यानङी
बायो मंहगो बीज खरीद कंवर तेजा रै
लागत भी कोनी पछ पाछी बावङी।

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