फूट चाटगी भायाँ ने - कविता

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फूट चाटगी भायाँ ने - कविता


दूध दही ने चाय चाटगी, फूट चाटगी भायाँ ने
इंटरनेट किताबां चरगी, भैंस्या चरगी गायाँ ने
टेलीफून मोबाईल चरग्या, नरसां चरगी दायाँ ने
ऊँट बैल ने गाड्या खागी, भाईचारे ने फूट खागी
देखो किसी फैसन बदली, मिल कर लोग लुगायाँ ने
साड़ी ने सल्वारां खागी, धोती ने पतलून खायगी
धर्मशाल ने होटल खागी, नायाँ ने सैलून खायगी
ऑफिस ने कम्प्यूटर खाग्या, मागी चावल चून खायगी
कुवे भांग पड़ी है सगळे, सब ने पछुवा पून खायगी
राग रागनी फिल्मा खागी, सीडी खागी गाणे ने
टेलीविज़न सबने खाग्यो, गाणे ओर बजाणे ने
पुरसगारा ने बेटर खाग्या, बफ्फे खागी खाणे ने
अहंकार अपणायत खागी, पुलिस खायगी थाणे ने
गोबर खाद यूरिया खागी, सहर खायग्यो गांवा ने
रेजगारी ने रूपियो खाग्यो, ऊमर खागी सावाँ ने
गोरमिंट चोअनी खागी, बेटा खाग्या, मावां ने
भावुक बन कविताई खागी, 'भावुक' थारा भावां ने ।।

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