यो कोई जमानु थोड़ो ही है .... जमानु तो बो हो
अब तो घणी दूर आयगी... अब तो सारै आयगी!!
ढळगो दिन, काळी रातङली आयगी ...
बीत्यो टेम, गिणती की सांस आयगी ...
गयो र सावण, पाछी जेठ की लू आयगी ...
पणिहारी भरती पाणी, अब तो टूंटी लागगी ...
Old Lady in Village |
देती भैंस दूध मोकळो, बाखङी हुबा लागगी ...
जाती पैदल कोसां, मोटर-गाडी आयगी ...
मुंडो इ कोनी खोलती, मोबाइल पर लागगी ...
खाती देशी घी, अब तो डालडै क लूमगी ...
खांय कोनी, गिणैं हैं गास्या, जीरो फिगर क लूमगी...
कैर-सांगरी निमड़गी, आ तो पनीर क लागगी ...
बाँटती मिर्च भाटा माथै, पावडर न चाट्गी ...
भरती भैंस दुहारो, अब तो ‘सरस’ क बास्ते लागगी ...
देती दही-रोटी क भचीङ, कचोरी-समोसा चेपगी...
पैरती धाबळा, करती ओलो, जींस पैंट चालगी ...
कोड हो सिणगार को, घाबा खोलबा लागगी ...
ही लाज शरम, गाळ काड्बा लागगी ...
करती बातां- गाती गीत, टेली-बीजन म बङगी ...
देती माला- चढती जांटी, हजार बीमारी चालगी ...
ब्याहिजगी ही पांच बरस की, ‘थर्टीज’ की होबा लागगी...
आता कोनी आंक, अंग्रेजी बोलबो सीखगी ...
स्याणु सूणो हो के ???
क्यूँ ही खो भलाईं ...
आपांळो जमानु तो जमानु सो ही हो रैय....
जाती पैदल कोसां, मोटर-गाडी आयगी ...
मुंडो इ कोनी खोलती, मोबाइल पर लागगी ...
खाती देशी घी, अब तो डालडै क लूमगी ...
खांय कोनी, गिणैं हैं गास्या, जीरो फिगर क लूमगी...
कैर-सांगरी निमड़गी, आ तो पनीर क लागगी ...
बाँटती मिर्च भाटा माथै, पावडर न चाट्गी ...
भरती भैंस दुहारो, अब तो ‘सरस’ क बास्ते लागगी ...
देती दही-रोटी क भचीङ, कचोरी-समोसा चेपगी...
पैरती धाबळा, करती ओलो, जींस पैंट चालगी ...
कोड हो सिणगार को, घाबा खोलबा लागगी ...
ही लाज शरम, गाळ काड्बा लागगी ...
करती बातां- गाती गीत, टेली-बीजन म बङगी ...
देती माला- चढती जांटी, हजार बीमारी चालगी ...
ब्याहिजगी ही पांच बरस की, ‘थर्टीज’ की होबा लागगी...
आता कोनी आंक, अंग्रेजी बोलबो सीखगी ...
स्याणु सूणो हो के ???
क्यूँ ही खो भलाईं ...
आपांळो जमानु तो जमानु सो ही हो रैय....
अब तो भैंस पाणी म सी जाती लागै है!
0 टिप्पणियाँ