चाहे बणाऊं राबड़ी, चाहे बणाऊं खिचड़ी ...
हेत की मिलाऊं चासणी...
घालूं गुड़-चीणी, चाहे रिप्या लागैं रोकड़ी ...
खुवाऊं पोता न काकड़ी, भैंस हुवै जद बाखङी ...
धाप अर् खाओ जद खीर-सीरो ...
तो जीव हो ज्याय सोरो सोरो ...
देवें जद दही रोटी राबड़ी का सबड़का ...
भूल ज्यावें हैं ढाबा होटल का तड़का ...
हेत की मिलाऊं चासणी...
घालूं गुड़-चीणी, चाहे रिप्या लागैं रोकड़ी ...
खुवाऊं पोता न काकड़ी, भैंस हुवै जद बाखङी ...
धाप अर् खाओ जद खीर-सीरो ...
तो जीव हो ज्याय सोरो सोरो ...
देवें जद दही रोटी राबड़ी का सबड़का ...
भूल ज्यावें हैं ढाबा होटल का तड़का ...
चाहे ब्याहो लुगाई आठ...
चाहे जळमो बेटा साठ ...
डांग ही बजासी बै, रोटी कोनी देवैला...
पण ओ दादी-नानी आळो हेत तो इ चूल्हा कण ही मिलसी जठ पलाकती मार अर घी सूं गिलगिली रोटी खास्यो जद ही मिलसी!
चाहे जळमो बेटा साठ ...
डांग ही बजासी बै, रोटी कोनी देवैला...
पण ओ दादी-नानी आळो हेत तो इ चूल्हा कण ही मिलसी जठ पलाकती मार अर घी सूं गिलगिली रोटी खास्यो जद ही मिलसी!
दिन में पच्चास फ़ोन करें लेकिन एक फ़ोन अपणी दादी नानी से कोणी करे
जकी कुछ ही दिना की मेहमान हैं फेर याद ही रहगी बिके हेत कले तरस जागो
काश बा होती जको सर पर हाथ रखकर कहती -
"ओ म्हाळो बेटो, कतरो बडो हुगो"
"ओ म्हाळो बेटो, कतरो बडो हुगो"
सच है ... ये तेरा नाती-पोता बहुत बड़ा हो गया है...
इसके पास "वक्त नहीं है"
इसके पास "वक्त नहीं है"
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