चटख-बंधेजी चुनड़ी होवै, मन सूओ मंडरावै।
दोगड़ ल्याती नार पातली, बिच्छुडा छमकावै।।
चाझील गुंथी कसुमल ईंडी, संग लुम्बां की लटकण।
तिरछी घड़लो कमर सम्हायां, आंख्यां नै मटकाती।
दोगड़ ल्याती नार पातली, बिच्छुडा छमकावै।।
चाझील गुंथी कसुमल ईंडी, संग लुम्बां की लटकण।
तिरछी घड़लो कमर सम्हायां, आंख्यां नै मटकाती।
बिना चूनड़ी भात पुरै ना, सोह्वै तील बरी की।
लैरियो'र कुरती रजपूती, जम्भर बणै जरी की।।
फबै पातलो सधै चालखो, मेखलियो मर्जी को।
पीलो पोमचो ओझरियो, अर घाघरो जरी को।।
चढ़ी कांचली बदन मसोसै, उतर्यां सांपण राजी।
बदन कसी नारी कै सोवै, वाह राजस्थानी री धरती।।
लैरियो'र कुरती रजपूती, जम्भर बणै जरी की।।
फबै पातलो सधै चालखो, मेखलियो मर्जी को।
पीलो पोमचो ओझरियो, अर घाघरो जरी को।।
चढ़ी कांचली बदन मसोसै, उतर्यां सांपण राजी।
बदन कसी नारी कै सोवै, वाह राजस्थानी री धरती।।
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