कालजो मत बाल - गणित र अद्यापक की कविता

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कालजो मत बाल - गणित र अद्यापक की कविता

एक बार एक गणित के अध्यापक से उसकी पत्नी ने गणित मे प्यार के दो शब्द कहने को कहा,
पति ने पूरी कविता लिख दी ~

म्हारी गुणनखण्ड सी नार, कालजो मत बाल थन समझाऊँ बार हजार,
कालजो मत बाल
1. दशमलव सी आँख्या थारी,
   न्यून कोण सा कान,
   त्रिभुज जेडो नाक,
   नाक री नथनी ने त्रिज्या जाण,
   कालजो मत बाल
2.  रेखा सी पलका थारी,


   सरल भिन्न सा दाँत,
   समषट्भुज सा मुंडा पे,
   थारे मांख्या की बारात,
   कालजो मत बाल
3.  रेखाखण्ड सरीखी टांगा थारी,
    बेलन जेडा हाथ,
   मंझला कोष्ठक सा होंठा पर,
   टप-टप पड रही लार,
   कालजो मत बाल
4. आयत जेडी पूरी काया थारी,
   जाणे ना हानि लाभ,
   तू ..., मू ...,
   चुप कर घन घनाभ,
   कालजो मत बाल
5. थारा म्हारा गुणा स्युं.
   यो फुटया म्हारा भाग
   आरोही -अवरोही हो गयो,
   मुंडे गिया झाग
   कालजो मत बाल

 म्हारी गुणनखण्ड सी नार कालजो मत बाल
 थन समझाऊँ बार हजार कालजो मत बाल !!

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