Rajasthani Hut

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Rajasthani Hut

आकड़ा की लकड़ी रोपी, माथे मेली खिम्पड़ी
Rajasthani Hut
Rajasthani Hut

ऊँचा-ऊँचा धोरा माथे कुणां की झूंपड़ी
पाल मांकर फाम्पा लागे, मांय भीगे गूदड़ी।
उनाला में चूए पसीनों, सियाला में धूजणी
हलियों ले हालिड़ो चाल्यों माथे बाँधी पागड़ी।


भातो ले भतवारण चाली मिठी गावें रागड़ी
रुखा-सूखा टुकड़ा खावे, खाबा कोनी टूकड़ी।

धरती का लाडेसर चाल्या, कान्धे लिंनि हालड़ी
मोठ ज्वार ने डावो खाग्यो, बाजरी ने रूंकड़ी।

छोरा-छोरी रोवण लाग्या कीकर मेटां भूखड़ी
दादी-ताई चरखो काते हाथ में लेकर कूकडी।

तन रे ऊपर झाड़ो लागे, ओड़ण कोनी लूकड़ी
आकड़ा की लकड़ी रोपी माथे मेली खिम्पड़ी।
ऊँचा-ऊँचा धोरा माथे कुणां की झूंपड़ी।।

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