सीकर
छह महीने बाद बुधवार को हुई शहरी सरकार की बैठक में आमजन के मुद्दे गायब होने पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। सभापति बैठक के एजेण्डों को पढ़ते रहे और नेता प्रतिपक्ष जनहित की समस्या उठाने को लेकर विरोध जताते रहे। महज 25 मिनट में एजेण्डे के 11 बिन्दु पारित होते ही सभापति ने बैठक समाप्त कर दी। बैठक में नंदीशाला, अवैध निर्माण, भवन निर्माण अनुमति व सफाई व्यवस्था सहित किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। इससे नाराज विपक्ष के पार्षद सभापति कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए। इस दौरान पार्षदों के बीच जमकर तकरार हुई। सभापति जब घर जाने लगे तो विपक्षी पार्षदों ने घेराब कर रास्ता रोक लिया। मुख्य द्वार पर कांग्रेस व भाजपा पार्षदों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। आखिरकार सभापति को दूसरी गाड़ी से घर जाना पड़ा। इसके बाद भी एक घंटे तक भाजपा पार्षदों ने नारेबाजी कर विरोध जताया।
इसलिए हुआ विवाद
बैठक शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि छह महीने बाद बोर्ड की बैठक हो रही है। एजेण्डे से शहर की बड़ी समस्या गायब है। जनता छोटी-छोटी समस्याओं के लिए परेशान है। इसलिए पहले सभी पार्षदों की समस्या सुनी जाए। इस पर सभापति जीवण खां ने कहा कि पहले एजेन्डे पर चर्चा होगी। इस पर सभापति ने एजेण्डे के सभी बिन्दुओं को लगातार पढऩा शुरू कर दिया और सत्ता पक्ष के पार्षद ध्वनिमत से पारित करते गए। विपक्ष की बात नहीं सुनी। महज 25 मिनट बाद बैठक समाप्त कर दी गई। विपक्ष का कहना था कि आमजन की समस्या सुनी जाए। लेकिन सभापति बैठक समाप्त करने की घोषणा कर चले गए। इससे नाराज भाजपा पार्षद सभापति कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए।
गाड़ी में नहीं बैठने दिया
भाजपा पार्षदों के हंगामेके बाद सभापति अपने कार्यालय से घर जाने के लिए निकल गए। इस दौरान विपक्षी पार्षदों ने सभापति को घेर लिया और गाड़ी में नहीं बैठने दिया। इस दौरान भाजपा-कांग्रेस के पार्षदों ने जमकर एक-दूजे के खिलाफ नारेबाजी की। कांग्रेसी पार्षदों का आरोप था कि बैठक के दौरान विरोध दर्ज कराना चाहिए था।
पार्षदों में धक्का-मुक्की
भाजपा पार्षदों के घेराब के कारण सभापति जीवण खां को मुख्य द्वार तक पैदल ही आना पड़ा। यहां भी भाजपा पार्षद उनका रास्ता रोककर सड़क पर बैठ गए। इस दौरान भाजपा व कांग्रेस पार्षदों में धक्का-मुक्की भी हुई। इसके बाद कांग्रेसी पार्षदों ने दूसरी गाड़ी से सभापति को घर के लिए रवाना किया।
भाजपा से महज एक और वह भी सदस्य
कमेटियों के गठन में सभापति ने भाजपा पार्षदों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया। कार्यपालक समिति में महज नेता प्रतिपक्ष अशोक चौधरी को सदस्य नियुक्त किया गया। जबकि भाजपा के अन्य सदस्यों को कोई मौका नहीं मिला। सभापति का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष से नाम मांगे गए थे, लेकिन उन्होंने कोई नाम नहीं दिए। जबकि नेता प्रतिपक्ष का आरोप है कि सभापति ने कमेटियों के गठन को लेकर कोई चर्चा नहीं की।
गेंद सरकार के पाले में
कमेटियों के गठन में मामले में अब गेंद राज्य सरकार के पाले में है। आयुक्त भंवरलाल सोनी ने बताया कि कमेटियों के गठन का प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया जाएगा। अधिसूचना जारी होने के बाद कमेटी सुचारू रुप से काम कर सकेगी। लेकिन बोर्ड पर कांग्रेस का कब्जा है और प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के कारण कमेटियों का अनुमोदन अब बड़ी चुनौती रहेगी।