म्हारै मुरधर रो है सांचो,
सुख दुख साथी खेजड़लो।
तिसां मरै पण छयां करै है,
करड़ी छाती खेजड़लो।।
आसोजां रा तप्या तावड़ा,
काचा लोही पिळघळग्या,
पान फूल री बात करां के,
बै तो कद ही जळबळग्या,
सूरज बोल्यो छियां न छोडूं,
पण जबरो है खेजड़लो,
सरणै आय'र छियां पड़ी है,
आप बळै है खेजड़लो।।
सगळा आवै कह कर ज्यावै,
मरु रो खारो पाणी है,
पाणी क्यां रो ऐ तो आंसू,
खेजड़लै ही जाणी है,
आंसू पीकर जीणो सीख्यो,
एक जगत में खेजड़लो,
सै मिट ज्यासी अमर रवैलो,
एक बगत में खेजड़लो।।
गांव आंतरै नारा थकग्या,
और सतावै भूख घणी,
गाडी आळो खाथा हांकै,
नारां थां रो मरै धणी,
सिंझ्या पड़गी तारा निकळ्या,
पण है सा'रो खेजड़लो,
'आज्या' दे खोखां रो झालो,
बोल्यो प्यारो खेजड़लो।।
जेठ मास में धरती धोळी,
फूस पानड़ो मिलै नहीं,
भूखां मरता ऊंठ फिरै है,
ऐ तकलीफां झिलै नहीं,
इण मौकै भी उण ऊंठां नै,
डील चरावै खेजड़लो,
अंग-अंग में पीड़ भरी पण,
पेट भरावै खेजड़लो।।
म्हारै मुरधर रो है सांचो,
सुख दुख साथी खेजड़लो,
तिसां मरै पण छयां करै है,
करड़ी छाती खेजड़लो।।
सुख दुख साथी खेजड़लो।
तिसां मरै पण छयां करै है,
करड़ी छाती खेजड़लो।।
Rajasthani Cottage in Village |
काचा लोही पिळघळग्या,
पान फूल री बात करां के,
बै तो कद ही जळबळग्या,
सूरज बोल्यो छियां न छोडूं,
पण जबरो है खेजड़लो,
सरणै आय'र छियां पड़ी है,
आप बळै है खेजड़लो।।
सगळा आवै कह कर ज्यावै,
मरु रो खारो पाणी है,
पाणी क्यां रो ऐ तो आंसू,
खेजड़लै ही जाणी है,
आंसू पीकर जीणो सीख्यो,
एक जगत में खेजड़लो,
सै मिट ज्यासी अमर रवैलो,
एक बगत में खेजड़लो।।
गांव आंतरै नारा थकग्या,
और सतावै भूख घणी,
गाडी आळो खाथा हांकै,
नारां थां रो मरै धणी,
सिंझ्या पड़गी तारा निकळ्या,
पण है सा'रो खेजड़लो,
'आज्या' दे खोखां रो झालो,
बोल्यो प्यारो खेजड़लो।।
जेठ मास में धरती धोळी,
फूस पानड़ो मिलै नहीं,
भूखां मरता ऊंठ फिरै है,
ऐ तकलीफां झिलै नहीं,
इण मौकै भी उण ऊंठां नै,
डील चरावै खेजड़लो,
अंग-अंग में पीड़ भरी पण,
पेट भरावै खेजड़लो।।
म्हारै मुरधर रो है सांचो,
सुख दुख साथी खेजड़लो,
तिसां मरै पण छयां करै है,
करड़ी छाती खेजड़लो।।
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