चूरू रा इतिहास - History of Churu

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चूरू रा इतिहास - History of Churu

चुरू भारत में राजस्थान राज्य के शेखावाटी क्षेत्र का एक जिला है। इसे थार मरुस्थल का द्वार भी कहा जाता है। यह क्षेत्र रेगिस्तानी तथा निर्जल होने के कारण जल के अभाव के कारण पार करने में अत्यंत दुष्कर था। इसलिए इसे मरुप्रदेश कहा गया होगा। रियासती युग में चूरु बिकानेर रियासत का हिस्सा था। कहते हैं कि चूरु की स्थापना चूहड़ा जाट ने 1620 . में की थी। जिसके नाम से इसका नाम चूरू पड़ा। ज़िले की उत्तरी-पूर्वी सीमा हरियाणा के हिसार ज़िले को छूती है। जलवायु की दृष्टि से यह जिला शुष्क रेगिस्तानी ज़िला है।

सफेद घंटाघर, चूरु
सफेद घंटाघर, चूरु

1)  चूरु चंदन काष्ठशिल्प चाँदी के बर्तन बनाने के लिये प्रसिद्ध है। सर्दी के मौसम में यह राज्य के सर्वाधिक ठंडे ज़िलों में गिना जाता हैं। वहीं गर्मी में राजस्थान का सर्वाधिक गर्म ज़िला है। यह राज्य का सबसे कम वन क्षेत्रफल वाला ज़िला है।

2)   विश्व के प्रसिद्ध धन कुबेर तथा स्टील किंग के नाम से विख्यात लक्ष्मी निवास मित्तल भी मूलत: इसी ज़िले के राजगढ़ कस्बे के रहने वाले है। हनुमान प्रसाद पोद्दार (कल्याण के संस्थापक), खेमचंद प्रकाश (फिल्म संगीतकार), पं. भारत व्यास, कृष्ण पूनिया, देवेन्द्र झाझड़िया बाबूलाल कथक जैसी हस्तियाँ यही से हैं।

3)  शहर में सर्वधर्म सद्भाव का प्रतीक धर्म-स्तूप बना हुआ है जिसे लाल घण्टाघर भी कहते हैं। चूरू जिले का आमरापुरा गाँव संयुक्त राष्ट्र संघ की मिलेनियम योजना में चयनित किया गया है। ऐसा यह एशिया का प्रथम विश्व का दूसरा गाँव है।

4)   ददरेवा, सालासर, तालछापर, सुजानगढ़ यहाँ के प्रमुख स्थल हैं।

शेखावाटी में स्थित चुरू, अपनी आलीशान हवेलियों और किलों के लिए प्रसिद्ध है जिसका निर्माण पूरी तरह राजस्थानी शैली में किया गया है इन हवेलियों और किलों की बाहरी दीवारों पर यहाँ के वीरों की वीर गाथाओं के चित्र बनाये गए हैं। कन्हैयालाल बागला हवेली, सुराना हवेली और मालजी का कमरा नमक इन तीनों हवेलियों की दीवारों पर (राजस्थानी कहानियों के कलाकार) डोला और मारू के जीवन के कई हिसों का चित्रण किया गया है। जो बेहद खूबसूरत हवेलिया हैं, जिनमें हजारों छोटे-छोटे झरोखे एवं खिड़कियाँ हैं ये राजस्थानी स्थापत्य शैली का अद्भुत नमूना हैं जिनमें फ़्रेस्को पेण्टिंग्स एवं सुंदर छतरियों के अलंकरण भी हैं। नगर के निकट ही नाथ साधुओं का अखाड़ा भी है, जहां बड़े बड़े देवताओं एवं भगवानों की मूर्तियां बनी हैं। इसी नगर में एक धर्म-स्तूप भी बना है जो धार्मिक समानता का प्रतीक है। नगर के केन्द्र में एक दुर्ग है जो लगभग ४०० वर्ष पुराना है। 1739 में ठाकुर कुशल सिंह द्वारा बनाया किला, यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। इनके अलावा नगर श्री अजायबघर, लक्ष्मीनारायण चंद्गोथिया हवेली और लक्ष्मीनारायण मंदिर यहाँ के कुछ एतिहासिक स्थल है। कंभ छतरी और गोंदिया छतरी यहाँ के प्रसिद्ध एतिहासिक स्थल है। इन छतरियों की भीतरी दीवारों पर बनाये गए सुन्दर चित्र आखों को सुकून देते हैं। इनके अलावा रघुनाथजी मंदिर, चंद्गोथिया मंदिर, जामा मस्जिद, नाथजी का डेरा, सेठानी का जोहड़ा बाबोसा महाराज चुरू, ददरेवा गोगा जी और बाबा फूलनाथ मंदिर नवा के जन्मस्थान के मंदिर चुरू के मुख्य आकर्षक स्थान है। यह नगर थार मरुस्थल में पाली से अम्बाला को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग ६५ पर बीकानेर को जाने वाले रेल मार्ग की क्रॉसिंग के निकट स्थित है। यहां रेतीले टीले हवा की दिशा के साथ स्थान बदलते रहते हैं। पीने के पानी के नितांत अभाव वाले इस क्षेत्र में कुए बनाए, वर्षा जल संग्रहण हेतु तालाब बनाये। धरती पुत्र अन्नदाता जाटों ने इस प्रदेश को कृषि योग्य बनाया तथा कृषि और पशुपालन से सबका भरण-पोषण किया। इस जांगल प्रदेश में मानव जीवन की रेखा खींचकर इसे आबाद किया। शहर और आसपास के क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और पशुपालन पर आधारित है। विशेष रूप से सरसों के बीज तिलहन, हाल ही में विकसित छोटे, अच्छी तरह से सिंचित क्षेत्रों में प्रमुख फसल है। गेहूं, खरीफ दलहन, बाजरा (बाजरा), और ग्वार अन्य का उत्पादन कर रहे हैं। चुरू क्षेत्र की कृषि उपज के लिए मुख्य मंडी (बाजार) है। शहर में एक कृषि उपज मंडी समिति (कृषि बाजार समिति का उत्पादन) भारतीय खाद्य निगम चुरू में अपने गोदामों है। शहर के आसपास के गांवों के लिए मुख्य आपूर्ति बिंदु है।

Surana Haveli, Churu
सुराणा हवेली चुरू

औद्योगिक क्षेत्र में कोई बड़ी या मध्यम आकार के उधोग नहीं है। मुख्य लघु उधोगों ग्रेनाइट स्लैब और टाइल्स, काटने और चमकाने आदि कार्य किया जाता हैं। शहर चांदनी चौक, आदर्श नगर, बाल्मीकि बस्ती, मोचीवाड़ा, वनविहार कालोनी, नया बास, सुभाष चौक, नई सड़क, सफेद घंटाघर, धर्म स्तूप (लाल घंटाघर) आदि मुख्य क्षेत्र हैं। चुरू थार रेगिस्तान के बीच एक करामाती स्थलाकृति का एक जिला है। चूरू शहर रेत के बड़े टीलों से घिरा हुआ है। क्षेत्र वनस्पति में अल्प है। फोगे और कैर झाड़ियों और खेजड़ी, रोएड़ा और बाबुल के पेड़ मुख्य रूप से रेत के टीलों पर पाया जा रहे हैं। शहरों में नीम और पीपल और सिरस पेड़ भी देखा जा सकता है। क्षेत्र सर्दियों में शून्य से नीचे से गर्मी की दोपहर में 50 से अधिक डिग्री को लेकर रिकार्ड तापमान समेटे हुए है। दिसंबर / एक जनवरी के महीने में सुबह होने से पहले छोटे पानी की बुँदे जिसको ओस कहते हैं या कम वनस्पति पर जमे हुए पानी ओस में बर्फ जम जाती हैं जिसे हम पाळा कहते हैं फिर भी गर्मी की रातें कूलर हैं और सर्दियों के दिनों में गरम रहते हैं। न्यूनतम और अधिकतम तापमान में बदलाव के दुनिया में किसी भी जगह के लिए शायद सबसे बड़ी है।


Red Clock Tower, Churu
लाल घंटाघरचूरू

 चूरू में एफ एम रेडियो भी हैं। इस एफ एम रेडियो या आकाशवाणी की स्थापना 12 नवम्बर सन 1992 को हुई थी। इस केन्द्र का उदघाटन श्रीमती गिरीजा व्यास ने किया था आकाशवाणी का भवन चूरू की वन विहार कालोनी मे है आकाशवाणी चूरूराजस्थान के तीन जिलों चूरू, झुँझुनू और सीकर के लिए कार्यक्रम प्रसारित करता हैं   6 किलोवाट क्षमता वालें ट्राँसमिटर से आकाशवाणी चूरू  के प्रसारण एफ.एम.100.7 मेगा हर्टज पर उपलब्ध हैं ।आकाशवाणी चूरू से प्रति दिन दो प्रसारण किए जाते  हैं पहला प्रसारण दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक और दूसरा प्रसारण शाम 5 बजे से रात 11.10 बजे तक होता है

 

प्रथम सभा

12:00 फिल्म संगीत/ आपके लिए/ इंग्लिश इज फन

12:35 सुगम संगीत/ लहरियो/ घूमर

13:10 महिला जगत/ घर ऑंगन

13:40 खेती री बातां

13:45 फिल्म संगीत/ झलकी/ शास्त्रीय संगीत

14:00 युगल गीत

14:15 माटी के स्वर

 

द्वितीय सभा

17:05 युववाणी

17:30 आज शाम

18:15 श्री रामचरित मानस गान

18:40 साहित्य धारा

19:00 जिले की चिट्ठी

19:10 धरा की पुकार

19:15 किसानवाणी

19:45 खेती ओर घर/ खेती री बातां

20:15 फिल्म संगीत

21:30 राष्टीय कार्यक्रम/ आपकी पसंद/ हैलो आपकी पसंद

22:00 नाटक/बातां ही चालें/राष्टीय कार्यक्रम/ शास्त्रीय संगीत

22:30 रजनीगंधा/ शास्त्रीय संगीत

 

सामान्य सूचनाएं

जणगणना वर्ष-2011 के आँकड़ों के अनुसार चूरू क्षेत्र की जनसँख्या 2041172 लाख जिसमे पुरुष 1053375 लाख और महिला 987797 लाख 16830 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले हुए हैं।

यह नगर थार मरुस्थल में पाली से अम्बाला को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग ६५ पर बीकानेर को जाने वाले रेल मार्ग 28.2900° N, 74.9600° E पर स्थित है इस शहर की स्थापना निर्बाण-चौहान राजपूतों ने की

 

चूरू जिले के तहसील कितने गाँव

 ·  चूरू (111 गाँव)

·   राजगढ़ (218 गाँव)

·   रतनगढ़ 104 गाँव)

·   सरदारशहर (185 गाँव)

·   सुजानगढ़ (167 गाँव)

·   तारानगर (124 गाँव)


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6 टिप्पणियाँ

  1. क्यो झूठ फैला रहे हो...
    चूरू की स्थापना निवार्ण राजपूतो द्वारा की गई थी...
    शर्म करो

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  2. जानकारी पूर्ण नहीं है परन्तु जीतनी ह उतनी काफी अच्छी लगी हे.हो सक कुचा मदद मन मिलसी इस जानकारी से .बहुत सी जानकारी जो आप जोड़ सकते हैं जो चूरू के बारे में और बहुत अच्छे से बताते ह तो और लगता लेकिन ये भी बहुत अच्छी लगी ..🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾💯💯💯💯💯

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