झगड़क बिलोवणो कद करस्यां ? - कविता

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झगड़क बिलोवणो कद करस्यां ? - कविता

भैंस ब्याई ल्याई कटो, 
बापू ल्यायो चूरी रो गटो,
कढावणी में दूध अब धरस्याँ , 

Buttermilk making by woman











झगड़क बिलोवणो कद करस्यां ?
दस दिन बाद चूरी कम पड़गी,
इस्युं भैंस अठ्पोरी पड़गी,
अब तो चुंटीये गा ही पड़ग्या सांसा,
झगड़क बिलोवणो कद करस्यां ?
एक दिन भोमलो,बोल्यो माऊ
दो किलो घी माँगे है ताऊ
बाने जवाब आपां के देस्याँ,
झगड़क बिलोवणो कद करस्यां ?
चुंटीयो सारों खेमलो खाजै,
जद ही डामकी सो बिंगो पेट बाजै
घी गी मिरकली कियां भरस्याँ,
झगड़क बिलोवणो कद करस्यां ?
बापू एक दिन काड़ी आँख्यां,
रिस्याँ में आ गे माऊ कानी देख्या,
बटाऊवां गी स्यान कियां बचास्याँ,
झगड़क बिलोवणो कद करस्यां ?
चा आको दूध अब बचे कोनी,
बापू अकेड़ा बेच दी खोली अर ल्या दी घोनी,
अब पोटा आकी जिग्याँ मींगणी गैर स्यां, 
झगड़क बिलोवणो कद करस्यां?
दो आना दो इयाँ ही रेगी,
घोनड़ी एक दिन जवाब देगी ,
अब तो दूध ही डेरी पर स्यूं लेस्यां,
झगड़क बिलोवणो कद करस्यां?

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