मुरधर जागी आस बिरखा रा दूहा - कविता

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मुरधर जागी आस बिरखा रा दूहा - कविता

Camel in Rajasthan
Camel in Rajasthan
 
धोरा पाणी चूसग्या, पड़तां पै'ली छांट
थळी सा सुक्की राखदी, बादळ क्यां री आंट ।।
पांत दुभांत होयगी, बादळ थारै हात
मुरधर इकसर सीँचदे, फेर बणैली बात ।।
आबू तरसै मोरिया, बरसो धारमधार
पांखां खोलगै नाचलै, देवो नीँ समचार ।।
ताळ तळाई सूकगी, कूआ गया पताळ
खोल खजानो बादळी, मेटो नी जंजाळ ।।
च्यानण चासो बादळी, देखो आंख पसार
सुक्की मुरधरा तड़फड़ै, छांटां करो अपार ।।
सावण बरस्यो सांतरो, नीँ हाथां मेँ बीज
बिन दाणां रै बापजी, निकळी आखातीज ।।
टप टप टपकी टापरी, छूटी हाथां छान
भाज बचाई बापजी, जाती जाती ज्यान ।।
डांगर ऊभा तड़फड़ै, मालक मरजी जाण
बिरखा रै दिन आपणां, खाली कूकर ठाण ।।
आकळ बाकळ टाबरी,  आकळ बाकळ आप
बिरखा मेँ फोड़ा घणां, आवै कोनीँ धाप ।।
बद बद बरसो बादळी, मुरधर करसी लाड
बिरखा रै सनमान मेँ, आंख्यां राखी गाड ।।

बिरखा बरसी सांतरी, मुरधर जागी आस
कोठा भरसी धान रा, डांगर चरसी घास ।।
हाळी हळड़ा सांभिया, साथै साम्भ्या बीज
खेतां ढाणी घालसी, स्यावड़ गई पसीज ।।
ऊंचै धोरै बाजरी, ढळवोँ बीजूं ग्वार
बिच्च बिच्च तूंपूं टींढसी, मतीरा मिश्रीदार ।।
ऊंचै धोरै टापरी, साथै रैसी नार
दिनड़ै करां हळोतियो, रातां बातां त्यार ।।
काचर काकड़ कीमती, मतीरा मजेदार
मोठ मोवणा म्होबला, धान धमाकैदार  
Rainy Cloud
Rainy Cloud

खेजड़ हेटै पोढस्यां, पेड्डी टांगां पाग
सुपणां मीठा आवसी, आथण आसी जाग ।।
टीकड़ सिकसी राख मेँ, हांडी पकसी साग
ढाणी ठाठां लागसी, अब जागैला भाग ।।
कड़बी गासी गीतड़ा, ग्वार सारसी राग
मुरधर मजमा लागसी, जद जागैला भाग ।।
रात्यूं काढां गादड़ा, दिनड़ै डांगर ढोर।
मतीरा खावां दिनड़ै ,रात नै सिट्टा मौर ।।
तिलड़ा तुरता तिड़कसी, बाजर देसी साथ
मोठ मरजी मानसी, जद लागांला पांथ ।। 

आभै गाजी बादळी, मुरधर नाच्या मोर
जीया जूण खिलखिली, देख घटा घनघोर ।।
आभै चमकी बीजळी, मनड़ै जाग्यो मोह
बादळ राजा बरससी, मिटसी पिया बिछोह ।।
छमछम बरसै बादळी, धम धम नाचै मोर
धरती माथै रूंखड़ा, घालै घूमर जोर ।।
बादळ ऐड़ा ओसरया, मुरधर करियो वास
धरती आली सांतरी, करसां पूरी आस ।।
डेडर जीभां खोल दी, भरिया देख तळाब
कोयल वाणी सांचरी, मुरधर उमड़ी आब ।।
 
लूआं छोडी आंचड़ी, बादळ दी फटकार
होय बायरो हेमाणी, करै जीव सतकार ।।
मुरधर लेवै वारणा, सीतल करनै देह
बादळ राजा धारगै, नित बरसाओ मेह ।।
पान फूल स्सै पांगरै, पड़तां देखो छांट
बादळ मै'मा सांकड़ै, रङ्ग बदळै किड़कांट ।।
रो' न्हाई मेह में, हरखी धरती घास
रूंख तिसाया नीँ मरै, मुरधर छाई आस ।।
घड़ड़ घड़ड़ घड़ बादळी, आज चढी आकास
चोगड़दै चिग पांगरै, मुरधर पाळी आस ।।
 
Funny Boy in Rainy season
Funny Boy in Rainy season
बरस बादळी आज तो, आबू माथै जाय
भीज्यां आबू मेह मेँ, मोर नाचसी आय ।।
मोर सूत्या आबू में, बिन बोल्यां सै आज
बिरखा करदे बादळी, मोर बोलसी भाज |
आबू डूंगर मोवणो, मोर ढेलड़ी पाण
बिन बिरखा रै बादळी, मोर छोडसी प्राण ।।
मोर बोलै आबू मेँ, बादळ रो ले नाम।
कर दे बिरखा बादळी, नीँ लागैला दाम ।।
आबू पा' सुवावणो, उत जे बोलै मोर
नाचै पांख पसारगै, लेज्या चित्तड़ो चोर ।।
 
लूआं बाजी मारणीँ,भाजी उड़गै रेत
बरसण लागी बादळी, पाछी घाल्यो हेत ।।
पिव परदेसां पूगिया, जाप काळ रो नाम
बरसण ढूकी बादळी, आय पधारया गाम ।।
माया सगळी आपरी, बादळिया सरकार
थारै बरस्यां बाप जी, नीँ धारां करतार ।।
करज उतारां सेठ रो, बैयां देवां फाड़
बिरखा कर दे बादळी, मेटां सगळी राड़ ।।
धोरा हरखै मोद मेँ, बांथां भरगै छांट
मुरधर रै सनमान मेँ, बादळ छोडी आंट ।।

ओम पुरोहित "कागद"- हिंदी / राजस्थानी कागद हो तो हर कोई बांचै... ||

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