कांई पूछैलो बाबा - कविता

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कांई पूछैलो बाबा - कविता



आटै-दाळ रो भाव जाण लियो, और कांई पूछैलो बाबा। 
मंहगाई री बातां करां तो, काळजियो धूजैलो बाबा॥ 
मोडा-नेता मंत्रबाज सहै, परजा ऊपर फूंक मार रया। 
तूं भी कोई अफंड रचालै, सगळो जग पूजैला बाबा॥ 
संसद ऊपर गोळी चालै, बाथरूम में लुक ज्यावैला। 
हत्यारा हलुओ खावैला, तूं बिरथा कूकैलो बाबा॥ 
शेखावाटी में रहणो है तो, हां जी, हां जी कहता जावो। 
बात सांचली कह गेरी तो, तेरो गळो टूंपलो बाबा॥ 
जे कोई मिलग्यो सांड आबखो, अहड़ी लात लगा देसी। 
धरम-करम धूळ में रळसी, जमलोकां पूगैलो बाबा॥