Gayo Jamaano Beet - Rajasthani Poem

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Gayo Jamaano Beet - Rajasthani Poem

कठै गया बे गाँव आपणा
कठै गयी बे रीत ।
कठै गयी बा, मिलनसारिता,
गयो जमानो बीत ||
दुःख दर्द की टेम घडी में
काम आपस मै आता।
मिनख सूं मिनख जुड्या रहता,
जियां जनम जनम नाता ।
People life in Village
तीज -त्योंहार पर गाया जाता ,
कठै गया बे गीत ||
कठै गयी बा, मिलनसारिता,
गयो जमानो बीत ||
गुवाड़- आंगन बैठ्या करता,
सुख-दुःख की बतियाता।
बैठ एक थाली में सगळा ,
बाँट-चुंट कर खाता ।
महफ़िल में मनवारां करता ,
कठै गया बे मीत ||
कठै गयी बा, मिलनसारिता,
गयो जमानो बीत ||
कम पीसो हो सुख ज्यादा हो,
उण जीवन रा सार मै।
छल -कपट, धोखाधड़ी,
कोनी होती व्यवहार मै।
परदेश में पाती लिखता ,
कठै गयी बा प्रीत ||
कठै गयी बा, मिलनसारिता,
गयो जमानो बीत || ||

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