झुंझुनू में पर्यटक स्थल (Tourist Spot in Jhunjhunu)

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झुंझुनू में पर्यटक स्थल (Tourist Spot in Jhunjhunu)

यह शहर अपनी भव्य हवेलियों और उन पर कि गई चित्रकारीता के लिए प्रसिद्ध है। 18 वीं सदी में बना खेतड़ी महल, बिहारीजी मंदिर, और मेर्तानी बोरी यहाँ के पर्यटक स्थल है। सेठ ईश्वर दास मोहन दास मोदी हवेली में कि गई चित्रकारीता इसे शेखावाटी की बेहतरीन हवेलियों में से एक बनती है।
19 वी सदी में बनी टिबड़ेवाल हवेली, अपने रंग बिरंगी खिड़कियों के शीशों के लिए मशहूर है। जोरावर गढ़, नवाब समस्खान का मकबरा, खेतड़ी महल, लक्ष्मीनाथ मंदिर, अजीत सागर और नवाब रोहिला खान का मकबरा यहाँ के पर्यटकीय स्थान है।
यहां जिला मुख्यालय पर स्थित दादी राणीसती का मंदिर तो विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। झुंझुनूं में हजरत कमरुद्दीन शाह की दरगाह एवं चंचलनाथ जी टीला अपने आप में अनूठे हैं। बताया जाता है कि हजरत कमरुद्दीन एवं चंचलनाथ में गहरी दोस्ती थी। दोनों का साम्प्रदायिक सद्भाव भी गजब का था। तभी तो झुंझुनूं में आज भी दोनों जगह होने वाले कार्यक्रमों में गंगा जमुना जैसी संस्कृति की झलक दिखाई देती है।
झुंझुनू में कमरुद्दीनशाह की दरगाह का विशाल और विहंगम परिसर देखने लायक़ है। सभी मस्जिदों और मज़ारस के अलावा, कमरुद्दीन शाह की दरगाह सबसे महत्वपूर्ण हैयह काना पहाड़ की तलहटी में स्थित है। दरगाह मुस्लिम संत कमरुद्दीन शाह के मकबरे के चारों ओर 19 वीं सदी में बनाया गया था। यह वास्तव में एक मस्जिद, एक मदरसे और एक मेहफ़िलखना युक्त एक बड़ा जटिल है। धार्मिक पर्वों अभी भी इस मेहफ़िलखना में आयोजित की जाती हैं
मेदत्नी जी बावड़ी और खेतान बावड़ी इस शहर के दो प्रसिद्ध बावड़ियां हैंयह भी बदानी चंद खैर के रूप में जाना जाता है जो बिरदी चंद खैर, शहर के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है। यह अपने चार पक्षों पर स्थित चार भव्य मीनारों है। एक समय की बात है, उन मीनारों सुंदर चित्रों से सजी थे; लेकिन अब का रंग फीका पड़ गया हैं
इसके अलावा ऊपर उल्लेख किया बावड़ी से, शहर के विभिन्न भागों में स्थित कुओं की संख्या भी शामिल है। इन कम ज्ञात कुओं के कुछ बड़े व्यापारियों की हवेलियों के पास मुख्य बाजार क्षेत्र में स्थित हैं। इसके अलावा, शहर के मध्य में स्थित बदरू की जोहड़ी भी वहाँ है। भगवान शिव और भगवान हनुमान को समर्पित एक मंदिर के पास स्थित है
वहीं पर बना मनसा माता का मन्दिर भी दर्शनीय है। इन दोनों स्थानों से शहर का नयनाभिराम दृश्य बहुत आकर्षक लगता है। ईश्वरदास मोदी की हवेली में भित्ति चित्रों की भव्यता के साथ-साथ सैकड़ों झरोखों की चित्ताकर्षक छटा भी दर्शनीय है। शहर में बना खेतड़ी महल एक प्रकार का हवामहल है तो मेदत्नी बावड़ी और बादलगढ़ भी नज़रों में कैद हो जाने वाले स्थल हैं।
समस तालाब, चंचलनाथ टीला, जोरावर गढ़, बिहारी जी का मन्दिर, बंधे का बालाजी, रानी सटी मन्दिर, खेमी शक्ति मन्दिर, लक्ष्मीनाथ जी का मन्दिर, दादाबाड़ी, अरविन्द आश्रम, मोडा पहाड़, खेतान बावड़ी, शेखावत शासकों की छतरियाँ, टिबड़ेवालों की हवेलियाँ, नवाब रुहेल ख़ान का मक़बरा, जामा मस्जिद तथा झुंझुनू के निकट आबूसर में नव स्थापित शिल्पग्राम ग्रामीण हाट जैसे अनेक अन्य दर्शनीय स्थल भी झुंझुनू में हैं। पर्यटकों के आवागमन में हो रही वृद्धि के कारण गत एक दशक में यहाँ होटल व्यवसाय भी काफ़ी बढ़ा है। जिले के भाग के अधिकांश अर्द्ध रेगिस्तान है। अरावली पर्वतमाला जिले के दक्षिण-पूर्वी भाग को गले लगाती हैं। हरे भरे घाटियों और सुंदर प्राकृतिक दृश्यों से पर्यटकों को लुभाना। लोहारगर्ल, तीर्थ के पवित्र धार्मिक स्थलों, इन पर्वतमाला की गोद में निहित है। लोग बड़ी संख्या में हर साल भाद्रपद अमावस्या के अवसर पर जल में पवित्र स्नान लेने के लिए आते हैं। सीकर, चुरू और झुंझुनू, ये तीनों ज़िले राजस्थान में पर्यटन के विकास के लिए प्रयत्नशील हैं।
हिन्दू और मुस्लिम लोगों के अधीन रहा झुंझुनू शहर राजस्थान में सांप्रदायिक सद्भाव की दृष्टि से एक विशिष्ट स्थान रखता है। दिल्ली, जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, अलवर, सीकर, चुरू, नारनौल, रेवाड़ी अन्य स्थानों से सीधा जुड़ा हुआ यह शहर भित्ति चित्रों, स्मारकों, धार्मिक स्थलों और तालाबों आदि की विविधताओं का दर्शन कराने वाला अनूठा शहर है।
नवलगढ़ के पौद्दारों की हवेली, रूपनिवास महल, चौखानी परिवार की हवेली प्रसिद्ध है। महनसर में पौद्दारों की सोने की दुकान है, जिसमें भित्ति चित्रों पर सोने की पॉलिश की गई है। बिसाऊ, मण्डावा, अलसीसर, मलसीसर, डूंडलोद, मुकुन्दगढ़, चिड़ावा आदी कस्बों की हवेलियाँ अपने भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है। मंडावा कस्बा शेखावाटी में सबसे अधिक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। किरोड़ी में उदयपुरवाटी के दानवीर शासक टोडरमल और उनके वित्त मंत्री मुनशाह के स्मारक है। यहाँ केवड़े के दुर्लभ वृक्ष भी हैं।
ज़ोरोवरगढ़, 1741 में ज़ोरोवर सिंह द्वारा निर्मित एक किला उन्होंने कहा कि ठाकुर शार्दूल सिंह के ज्येष्ठ पुत्र थे और अपने पिता की समाप्ति के बाद राजा बने है। अपने सुनहरे दिनों में यह किला एक भव्य संरचना है, लेकिन आज खंडहर में इसमें से अधिकांश हिस्सा रहा होगा। हालांकि, इमारत के कुछ हिस्से को जिला जेल के साथ ही कुछ अन्य सरकारी कार्यालयों को पुनर्निर्मित किया गया है।
झुंझूनूं में स्थित खेतड़ी महल का निर्माण खेतड़ी के महाराजा भोपाल सिंह (1735-1771 .) ने अपने ग्रीष्मकालीन विश्राम हेतु झुंझूनूं में कराया। भारत की ताम्र नगरी के नाम से विख्यात खेतड़ी भी झुंझुनूं में है। देश का एकमात्र ताँबा उत्पादक संस्थान 'हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड' खेतड़ी में है। खेतड़ी नरेश अजीतसिंह ने स्वामी विवेकानंद को विवेकानंद नाम दिया। जवाहर लाल नेहरू के पिता पंडित मितीलाल नेहरू की प्रारम्भिक शिक्षा भी खेतड़ी में हुई। खेतड़ी के निकट शिमला गाँव से शेरशाह सूरी का सम्बंध था।
पिलानी में तकनीकी शिक्षा के लिये बिट्स तथा केन्द्रीय इलेक्ट्रानिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीरी) स्थित है। पिलानी बिड़ला औधोगिक घराने का स्थान है। भौगोलिक दृष्टि से झुंझूनूं, शेखावाटी प्रदेश में अवस्थित है, जिसकी पूर्वी सीमा हरियाणा को स्पर्श करती है।

अन्य दर्शनिये स्थल


  • रानी सती मंदिर
  • पंचदेव मंदिर
  • खेमी सती मंदिर
  • घोड़ीवारा मंदिर
  • जम्वे माता मंदिर भोड़की
  • वेद प्रभु मंदिर जसरापुर
  • दरगाह हज़रत कुमरुद्दीन शाह (कई लड़ाइयों में उसकी बहादुरी के लिए उसके दोस्त कुमरुद्दीन शाह की स्मृति में बिसाऊ ठाकुर श्याम सिंह जी द्वारा निर्मित).
  • बिसाऊ हवेली और मंदिर (बिसाऊ).
  • सूरजगढ़ महल और मंदिर (बिसाऊ).
  • श्यामगढ़ किला (कान्हा पहाड़ी पर बिसाऊ श्याम सिंह जी द्वारा बनाया गया).
  • जैन मंदिर
  • बंधे का बालाजी मंदिर
  • सनसेट पॉइन्ट मोड़ा पहाड़
  • खेतड़ी महल
  • लाल पहाड़ी और मंदिर
  • शिव मूर्ति बिसाऊ

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