डाम_गो_मंडाण - कहाणी

gadstp

डाम_गो_मंडाण - कहाणी


बातां मिनख भूलै कोनी...
   आ समझ ल्यो कै, बै बातां ऊँट गै डाम हाळी सी हुवै।
   मेरो नयो नयो ब्याव हुयो हो
   दिसंबर गै म्हीने में! कोई दस दिन बाद मळ लाग ग्या!
दो जनवरी नै मेरी सासु मनै तार भेज्यो ...
घरे रोवा कूको माच गयो! अब मैं तो पढ़यो लिख्यो
आदमी ...तारबांच्यो!!
बो तार मेरी सासु भेज्यो हो!
कै कंवर साब मळ् शरू हुग्या थे शनिवार नै ज्यायो तेल
बाळ स्यां ....गुलगुला बड़ा खा लेया।
"मै दूसरे ही दिन एक देसाई बीड़ी गो मंडळ,
एक मर्फी हालो रेडियो लेगे सासरै पुग ग्यो!
बठै मनै तातो पाणी झलायो मनै थोड़ो रौब झाड़नो हो,
मैं बोल्यो -"तातो पाणी तो लुगाई पताई पीवै अर का
फेर कमजोर मोट्यार .... मैं तो कोरै मटकै गो पाणी पीऊँ
"सगळा वाह वाह करी कै जंवाई तो जबर मोट्यार है।
मनै कोरो किंकर सो पाणी झला दियो और में एक
सांस में लौटो खाली कर दियो
मेरै गळै स्यूं लेगे किडनी फ़ेफ़डा ताईं सपीड उपड़यो..
जाणै कणी लट्ठ घसो दियो है....पण में सहन कर ग्यो।
आथण मेरी सासु गुलगुला बड़ा बणाया...
मैं खूब गुल गुला बड़ा खाया और ठंडो पाणी ओज्यो!!
फेर थोड़ी देर तक बीड़ी पी और आल इंडिया रेडियो पर ठुमरी दादरी सुणी
रात नै दस बजे मेरी सासु रीजाई और सोड़ीयो झलायो
मैं पाछो रौब झाड़ दियो -"ना माँजी रीजाई पाछी ले
ज्यावो ... मनै तो इस्यो पाळो सुवावै "
मेरी सासु रीजाई पाछी लेगे उठगी
में भगवान् नै हाथ जोड़गे और एक गोळती लेगे सो ग्यो
रात नै बारा बजे मेरा हाड कांपण लाग ग्या....
में घणी कोशीश करी, पण दांत कांट किलारी हाळै ज्यूँ
कूट कूट कूट कूट करण लॉग ग्या
मेरो सब्र जवाब दे ग्यो...
कै आज मोट्यार कल्डो हुगै मरसी...
इयां तो गंडक ही को मरै
में उठ्यो और रीजाई ल्याण खातर दूसरै कमरै में बड़ग्यो!
गळती स्यूं रसोई में घुस ग्यो...
इनै बीनै हाथ मारया जणा एक लौटे गै ठोकर लागि
लौटियो रुड ग्यो और मेरी सासु जाग गी
मैं शर्मीज ग्यो और पाछो जा गे मांचलियै पर पड़ग्यो...
मेरी सासुसोच्यो कै कंवर साब नै प्यास लागी है
बण एक सेर हाळो ताँबे गो लोटो भरयो
और मेरै कनै गे बोलील्यो अंधेरो हो...
मैं सोच्यो कै सासु माँ रीजाई ल्याई है
मैं बोल्यो- ऊपर गेर दयो
सासु माँ ठंडो पाणी मेरै ऊपर गेर दियो अर जा गे सोगी
अब भाईडो में कई देर तो फाटेङो किन्नौ (पतंग)
करै ज्यूँ थर्रर्रर ...थर्रर्र करयो ....फेर कलडो हुग्यो.. तीरकबाण हाळै ज्यूँ
दिनगै समूचा मेरै कनै भेळा हुग्या
मेरो शरीर तो लट्ठ बरगो कलडो हु राख्यो।
कोई की उपाय बतावै कोई कीउपाय बतावै
फेर मेरी साळी बोली कै...
आपणो पाडियो कलडो हुयो जणा आपाँ बिंगे डाम दियो ...
जीजोजी गै भी डाम दयो, नई तो बाई नै धोळो ओढ़णो पड़सी
मेरी साळी रसोई में गई और चिंपियो तातो कर गे ल्याई
मनै उल्टो करगे और मगरां में रीढ़ हाळी हाडी पर तातो चिंपियो चेप दियो
मेरी सर्दी तो जांती रहई पण बो डाम गो मंडाण आज भी है
"राम राम सा"

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ